मुख्तार अंसारी की मौत के 26 दिन बाद विसरा रिपोर्ट सामने आई है। इसमें कहा गया है कि मुख्तार की मौत जहर से नहीं हुई है, बल्कि हार्ट अटैक से हुई थी। विसरा रिपोर्ट न्यायिक जांच टीम को भेज दी गई है।
मुख्तार बांदा जेल में बंद था। 28 मार्च की रात उसे बेहोशी की हालत में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया था। 9 डॉक्टर्स ने उसका इलाज किया, लेकिन मुख्तार को बचाया नहीं जा सका।
मुख्तार कई बार कह चुका था कि जेल में उसे मारने की साजिश की जा रही है। उसने बाराबंकी कोर्ट में एप्लिकेशन भी दी थी। इसमें कहा था कि उसने खाने में स्लो पॉइजन दिया जा रहा है।
29 मार्च को ढाई घंटे चले तक पोस्टमॉर्टम चला। इसमें में पता चला कि मुख्तार की मौत हार्ट अटैक से हुई थी। हालांकि, पोस्टमॉर्टम के बाद पुलिस ने विसरा सुरक्षित रख लिया था। अब विसरा जांच की रिपोर्ट आई है। इसमें मौत जहर देने की बात नहीं आई।
29 मार्च को ही मुख्तार के शव को देर रात गाजीपुर पैतृक घर ले जाया गया। 30 मार्च की सुबह कालीबाग कब्रिस्तान में उसे सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इसमें करीब 30 हजार लोग शामिल हुए थे। फिलहाल, अभी मुख्तार मौत मामले की जांच न्यायिक टीम कर रही है। 30 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपनी है। 3 बार जेल के अंदर जाकर जांच-पड़ताल कर चुकी है।
2005 से जेल में बंद था मुख्तार
इंटरस्टेट गैंग 191 का सरगना मुख्तार 25 अक्टूबर, 2005 से जेल में बंद था। उसके खिलाफ यूपी, दिल्ली, पंजाब में 65 मुकदमे दर्ज हैं। 2017 में योगी सरकार आने से पहले वो पंजाब की रोपड़ जेल में था। उसे पंजाब से UP लाने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी।
2021 में मुख्तार को बांदा जेल में शिफ्ट किया गया। जेल में उस पर 24 घंटे CCTV कैमरों से निगरानी होती थी। रिश्तेदारों से मिलने पर रोक थी। सख्ती इतनी थी कि जेल में मुख्तार पर नरमी बरतने वाले डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह को सस्पेंड कर दिया गया था।
17 महीने में मुख्तार को 8 बार हुई थी सजा
मुख्तार को 17 महीने में 8 बार सजा हुई थी। इसमें से 2 उम्रकैद की सजा थी। मुख्तार को पहली सजा 23 सितंबर 2022 को हुई थी। वहीं, 8वीं सजा 13 मार्च 2024 को हुई थी। मुख्तार के खिलाफ सजा का सिलसिला 21 नवंबर, 2022 को शुरू हुआ था।
लखनऊ के आलमबाग थाने में 2003 में जेलर को धमकाने के मामले में ADJ कोर्ट ने उसे दोषमुक्त कर दिया था। सरकार ने 27 अप्रैल, 2021 को हाईकोर्ट में मामले को चुनौती दी। इसी मामले में उसे पहली बार 7 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
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