भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार का फैसला बदलते हुए ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ECRP) में फंड जुटाने के लिए सरकारी जमीन बेचने पर रोक लगा दी है। ईआरसीपी के लिए अब भजनलाल सरकार जमीन नहीं बेचेगी। बीकानेर और अलवर में ईआरसीपी के लिए बेची जाने वाली जमीनों की नीलामी रद्द कर दी गई हैं।
ईआरसीपी कॉर्पोरेशन ने शुक्रवार को जमीनों की नीलामी रद्द करने के आदेश जारी कर दिए हैं। कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने सीएम भजनलाल शर्मा को चिट्ठी लिखकर सरकारी जमीनों की नीलामी पर गंभीर आपत्ति जताते हुए इसे घोटाला बताया था। मंत्री किरोड़ी की चिट्ठी के बाद सरकार ने जमीन नीलामी रद्द कर दी है।
गहलोत सरकार ने जाते-जाते किया था सरकारी जमीनें बेचने का फैसला
गहलोत सरकार ने सरकारी जमीनें बेचकर ईआरसीपी के लिए फंड जुटाने का फैसला किया था। 15 सितंबर 2023 को गहलोत सरकार ने बीकानेर के बीछवाल और अलवर के उमरेण की सरकारी जमीन नीलाम करने का फैसला किया था। इसके लिए 3 अक्टूबर 2023 को ई-नीलामी निकाली गई थी। एमएसटीसी पोर्टल के जरिए यह नीलामी करवाना तय हुआ। नीलामी की प्रक्रिया के बीच ही सरकार बदल गई तो मामला अटक गया।
ईआरसीपी में अब 90 प्रतिशत पैसा केंद्र देगा
राजस्थान में सरकार बदलने के बाद ईआरसीपी को केंद्र सरकार ने रिवर लिंक प्रोजेक्ट से जोड़कर इसका 90 प्रतिशत फंड देने की घोषणा कर दी। इसके लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच एमओयू हो चुका है। इस एमओयू के बाद ईआरसीपी पर अब राज्य सरकार को केवल 10 प्रतिशत बजट ही खर्च करना होगा।
सरकारी नर्सरी की जमीन बेचने से नाराज थे किरोड़ी
कृषि मंत्री किरोड़ीलाल ने पिछले दिनों सीएम भजनलाल शर्मा को चिट्ठी लिखकर सरकारी जमीनों की नीलामी पर आपत्ति जताई थी। किरोड़ी का आरोप था कि गहलोत सरकार ने कौड़ियों के भाव पर सरकारी जमीनें बेचने का षड्यंत्र रचा था।
ईआरसीपी पर केंद्र पैसा दे रहा है तो अब फंड के लिए जमीन बेचने का मतलब नहीं है। गहलोत सरकार के समय अलवर के उमरेण में उद्यान विभाग की नर्सरी की जमीन बेचने का फैसला किया था। किरोड़ी सरकारी नर्सरी की जमीन बेचने की प्रक्रिया से नाराज थे, उन्होंने इसलिए सीएम को
किरोड़ी बोले- अफसर जमीनों को कौड़ियों के भाव बेचना चाहते थे
कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने कहा- हॉर्टिकल्चर विभाग की जमीनें अफसर मिलीभगत करके कौड़ियों के भाव बेचने जा रहे थे, उन्हें राज्य सरकार ने निरस्त कर दिया है। इससे समझा जा सकता है कि सरकार कितनी संवेदनशील और पारदर्शी है। कुछ अफसरों ने मिलीभगत करके सरकार को करोड़ों का चूना लगाने का काम किया। शुक्रवार को सीएम के निर्देश पर उसे निरस्त कर दिया।
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