हिंदुस्तान पत्रिका /जयपुर ब्यूरो
जोधपुर । जोधपुर में एक अदालत ने 19 वर्ष की एक लड़की की शादी रद्द करते हुए उसे बाल-विवाह के चंगुल से छुड़ा दिया। अगोलाई गांव के एक ट्रक चालक की बेटी पपली की शादी 2015 में 16 वर्ष की आयु में दुदुबेरा गांव के जसराम से की गई थी।
हालांकि उसने उस पर थोपे गए विवाह को स्वीकार नहीं किया था और अपने पति के साथ रहने से इंकार कर दिया था। उसके ससुरालीजनों ने सामुदायिक पंचायतों में अपनी बात रखी जिन्होंने लड़की के परिजनों को समुदाय से बेदखल करने और आर्थिक दंड लगाने की धमकी दी थी।
लड़की ने कहा, "मैं डर गई थी। मेरे पिता ने फांसी लगाने की धमकी दी थी। मेरे रिश्तेदारों ने भी दवाब बना दिया था।"
मेरी अकेले की लड़ाई समाचार पत्र की कहानी बन गई थी जिससे पपली की जिंदगी में आशा की दुर्लभ किरण लेकर आई। कहानी में डॉ. कीर्ति भारती और बाल विवाह के खिलाफ उनके सारथी ट्रस्ट की लड़ाई और पीड़ितों के पुनर्वास के लिए उनके प्रयास की कहानी दी गई है।
पपली ने सारथी ट्रस्ट की प्रबंधन ट्रस्टी और पुनर्वास मनोवैज्ञानिक भारती से संपर्क किया।
पपली कहती हैं, "सारथी ने मुझे विश्वास और उम्मीद जगाई कि मुझे जीने का अधिकार है। कीर्ति दीदी ने मुझे और मेरे परिवार को समझाया। अंत में, मेरे कुछ रिश्तेदार मेरे समर्थन में आए। कीर्ति दीदी ने मेरे समुदाय के कुछ नेताओं को भी समझाया। अंत में मैंने अपनी शादी रद्द कराने के लिए जोधपुर परिवार अदालत में याचिका दायर कर दी। कीर्ति दीदी ने मेरी सुरक्षा सुनिश्चित की। वे मेरे लिए अदालत में भी पेश हुईं।"
सुनवाई के बाद, न्यायाधीश पी.के. जैन ने बुधवार को पपली की शादी रद्द कर दी।
पपली ने आईएएनएस से कहा, "मेरी शादी ने मेरी जिंदगी बरबाद कर दी लेकिन कीर्ति दीदी ने मुझे नई जिंदगी दी। अब मैं पढ़ाई करूंगी और आत्मनिर्भर बनूंगी।"
भारती ने कहा, "पपली की शादी रद्द होने के बाद उसके बेहतर पुनर्वास के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। समुदाय के कुछ नेता अभी भी उसके परिवार पर दवाब बना रहे हैं। जरूरत पड़ी तो न्यायिक कार्रवाई की जाएगी।"
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