हिन्दुस्तान पत्रिका / पटना ब्यूरो रिपोर्ट
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पटना। कहा जाता है कि अगर लक्ष्य के प्रति कठिन परिश्रम और समर्पण भाव से कोई जुट जाए तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं है। अदालत में चपरासी की नौकरी करने वाले की बिटिया अर्चना अपने पिता के सरकारी झोपड़ीनुमा क्वार्टर में ही जज बनने का सपना देखा था और आज उसका सपना पूरा हो गया। अर्चना को हालांकि इस बात का अफसोस है कि इस खुशी के मौके पर उनके पिता मौजूद नहीं हैं।
अर्चना ने बताया कि उनके "पिता गौरीनंदन प्रतिदिन किसी न किसी जज का 'टहल' बजाते थे, जो बचपन में एक बच्चे को अच्छा नहीं लगता था। उसी स्कूली शिक्षा के दौरान ही उस चपरासी क्वार्टर में मैंने जज बनने की प्रतिज्ञा ली थी और आज ईश्वर ने उस प्रतिज्ञा को पूरा कर दिया है।
अर्चना कहती हैं कि सपना तो जज बनने का देख लिया था, परंतु इस सपने को साकार करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। शादीशुदा और एक बच्चे की मां होने के बावजूद मैंने हौसला रखा और आज मेरा सपना पूरा हो गया है।
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