मणिपुर हिंसाः फर्जी वीडियो को लेकर भारतीय सेना अलर्ट, दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश

नई दिल्ली (Edited By Sandeep Agarwal): मणिपुर में मैतेई समुदाय को ST में शामिल करने की मांग को लेकर राज्य में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. इसी बीच भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवानों ने हिंसाग्रस्त इलाकों से अबतक 7,500 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है. हालत पर काबू पाने के लिए मणिपुर की एन. बीरेन सिंह की सरकार काफी सख्त कदम उठा रही है. वहीं, अब मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है, साथ ही भारतीय सेना भी अलर्ट मोड पर है. सेना ने राज्य में सुरक्षा स्थिति से संबंधित फर्जी वीडियो को लेकर लोगों को सतर्क रहने को कहा है.

एन. बीरेन सिंह की सरकार उठा रही काफी सख्त कदम 
जहां एक तरफ हिंसाग्रस्त इलाकों में हालात पर काबू पाने के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सरकार काफी सख्त कदम उठा रही है, तो वहीं मणिपुर के राज्यपाल ने ला गणेशन ने कुछ इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मार देने के मणिपुर सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी है. इससे पहले हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई थी. राज्य में अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है. मणिपुर में असम राइफल्स की 34 और सेना की 9 कंपनियां तैनात हैं. इनके अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रैपिड एक्शन फोर्स की भी पांच कंपनियों को मणिपुर भेज दिया है. हालांकि, इसके बावजूद मणिपुर में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिसके बाद सरकार को इस तरह का सख्त निर्णय लेना पड़ा है.

दरअसल, मणिपुर में मैतेई समुदाय एक गैर-आदिवासी समुदाय है और इनकी आबादी राज्य में 53 प्रतिशत है, ये लोग घाटी में रहते है. बीते 10 सालों से मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग एसटी (अनुसूचित जनजाति) दिए जाने की मांग कर रहे है. इनका कहना है कि म्यांमार और बांग्लादेश के लोग बड़े पैमाने पर राज्य में दाखिल हो गए है और उसके चलते इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मौजूदा कानून के मुताबिक मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है.

इसी मांग को लेकर ‘ऑल इंडिया ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन’ ने बीते बुधवार (3 मई) को ट्राइबल सॉलिडेरटी मार्च बुलाया था. इसी दौरान आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों में झड़प हो गई. आदिवासी समुदाय उस मांग का विरोध कर रहा था, जिसमें डिमांड की जा रही है कि गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा दिया जाए. इसी संबंध में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मैतेई समुदाय की डिमांड पर विचार करे और 4 महीने के भीतर केंद्र को सिफारिश भेजे. इसी आदेश के बाद आदिवासी और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा शुरू हो गई.

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