एकनाथ शिंदे ने जब सार्वजनिक तौर पर शिव सेना से अलग होने की ठानी और उसे मंंझधार में छोड़ने का फैसला लिया. उसके बाद उन्होंने कभी उद्धव ठाकरे के साथ कोई बैठक नहीं की. फिर अजित पवार आखिर क्यों शरद पवार से इतनी बार और लगातार मिल रहे हैं. इससे भी जरूरी बात, आखिर एक मजबूत मराठा नेता अपने भतीजे से क्यों मिल रहे हैं, जिसने उन्हें पार्टी के नेतृत्व से सेवानिवृत्ति की सलाह दी.
अजित पवार को एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल हुए करीब दो हफ्ते से ज्यादा वक्त हो गया है. अब महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में यह सवाल घूम रहा है कि आखिर चाचा और भतीजे ने सोमवार को वाईबी चव्हाण केंद्र में इतने दिनों में अपनी दूसरी बैठक क्यों की. जिसके बाद दोनों पक्षों के विधायक हैरान हैं.
2 जुलाई को आठ अन्य विधायकों के साथ सरकार में शामिल होने के बाद से ही अजित पवार ने एनसीपी को एक इकाई के रूप में पेश करने की कोशिश की है, जबकि यह दावा किया जा रहा है कि उनके पास ज्यादातर विधायकों का समर्थन है. हालांकि, बताया जा रहा है कि रविवार की बैठक में, अजित पवार गुट ने सीनियर पवार से “मौजूदा स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता खोजने” का आग्रह किया और उनका “आशीर्वाद और मार्गदर्शन” मांगा. News18 को सूत्रों से पता चला है कि सोमवार को अजित पवार गुट के लगभग 30 विधायकों ने इसी अनुरोध के साथ शरद पवार से मुलाकात की थी.
पवार परिवार के कभी गर्म तो कभी नरम रवैये ने दोनों तरफ के खेमों में निराशा पैदा कर दी है. सूत्रों का कहना है कि नेता अब स्थिति स्पष्ट करने की मांग कर रहे हैं. वहीं अजित पवार खेमे के सूत्रों ने न्यूज18 को बताया कि रविवार की बैठक के बाद खेमे के कुछ विधायक नाराज थे. दूसरी तरफ एक अंदरूनी सूत्र ने जानकारी दी है, “नाराज विधायकों में से ज्यादातर की राय यही थी कि अगर वरिष्ठ नेता, शरद पवार के साथ समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्होंने दूरी क्यों बनाई.
जानकारों के एक वर्ग की यह भी राय है कि ऐसी बैठकों के जरिए अजित पवार खेमा यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि उसे शरद पवार का समर्थन प्राप्त है. वहीं राकांपा अध्यक्ष अपनी ओर से चुप्पी साधे हुए हैं. महाराष्ट्र राकांपा अध्यक्ष जयंत पाटिल ने सोमवार को दावा किया कि वरिष्ठ नेता ने अपने भतीजे के गुट से पूछा कि वर्तमान राजनीतिक हालात में कोई रास्ता कैसे खोजा जा सकता है, जबकि वे लोग पहले ही सार्वजनिक रूप से अपना रुख साफ कर चुके हैं. शरद पवार के स्थिति को संभालने और अजित पवार के साथ लगातार बैठक ने रांकपा के पहले परिवार में कांग्रेस और शिव सेना–यूबीटी के समीकरण को भी असहज स्थिति में खड़ा कर दिया है.
शनिवार को, अजित पवार सिल्वर ओक बंगले में शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार से मिलने गए थे जो कुछ दिन अस्पताल में रहने के बाद अब धीरे धीरे ठीक हो रही हैं. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि, शरद पवार की चुप्पी उनके गुप्त पत्ते खेलने की फितरत भी हो सकती है. लेकिन कहीं अगर विधायक इसे राजनीतिक थकान के संकेत के रूप में देखते हैं और वह अजित पवार खेमे का हाथ थाम लेते हैं तो यह चुप्पी उन्हें महंगी पड़ सकती है. सहयोगी दल कांग्रेस और शिवसेना-यूबीटी की निगरानी में, क्या शरद पवार मंगलवार को बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक में अपना रुख बता पाएंगे?
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