केरल में निपाह वायरस की एंट्री, पहचानने में एक बार फिर उसी डॉक्‍टर ने की मदद

केरल में निपाह वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. राज्य के जाने-माने क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. एएस अनूप कुमार ने एक बार फिर सबसे पहले इस वायरस की पहचान की थी. इससे पहले भी डॉ. अनूप ने 2018 में निपाह वायरस के केस पहचान लिए थे. उन्‍होंने कहा, ‘निपाह वायरस के पिछले अनुभव ने इस बार मेरी मदद की.’ दरअसल, 2018 में एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीजों में से एक में अजीब लक्षण देखने वाले पहले व्यक्ति थे, जिसके कारण केरल में निपाह के पहले प्रकोप की पहचान हुई थी. इस बार भी उन्होंने नवीनतम केस में निपाह संक्रमण की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

उत्तरी केरल क्लस्टर में क्रिटिकल केयर मेडिसिन सेंटर ‘एस्‍टर’ के डायरेक्‍टर डॉ. एएस अनूप कुमार ने कहा कि निपाह को लेकर हम अलर्ट थे. जब 9-10 सितंबर को एस्टर एमआईएमएस अस्पताल में एक परिवार के एक वयस्क और तीन बच्चों के असामान्य नैदानिक ​​​​लक्षणों के साथ आने के बाद उन्‍हें निपाह की आशंका हुई. ऐसे में उन्‍होंने अपनी टीम को अलर्ट किया. उन्‍होंने बच्चों को बाल चिकित्सा विंग में भर्ती कराया गया, तो वहीं वयस्कों को पल्मोनोलॉजी विभाग में ले जाया गया.

डॉ. कुमार ने कहा कि एक परिवार के मरीजों ने हमारे पहले संदेह को जन्म दिया. हमने उनकी मेडिकल हिस्‍ट्री को देखा, तो हमने पाया कि 9 और 4 साल की उम्र के बच्चों के पिता की 30 अगस्त को निमोनिया के लक्षणों के साथ कोझिकोड के एक अन्य निजी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. हमने तुरंत उस अस्पताल से संपर्क किया और पता चला कि हालांकि उन्हें निमोनिया के कारण भर्ती कराया गया था, लेकिन उनकी हालत तेजी से बिगड़ गई, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. उन्होंने कोविड और इन्फ्लूएंजा के लिए निगेटिव परीक्षण किया था.

बाद में, जब डॉ. कुमार ने मृतक की पत्नी से बात की, तो उन्होंने पाया कि मरीज में अस्पष्ट भाषण, भटकाव और डिप्लोपिया (दो छवियों को देखना) जैसे लक्षण थे जो न्यूरोलॉजिकल लक्षण थे. नौ वर्षीय बेटे को सांस लेने में कठिनाई के कारण एस्टर एमआईएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसे दौरा पड़ा और उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया. इससे भी संदेह पैदा हुआ क्योंकि दौरे, निमोनिया से जुड़ा कोई सामान्य लक्षण नहीं था. इन सभी कारकों ने गंभीर संदेह पैदा कर दिया.

डॉ. कुमार ने बताया कि मरीज सोपिकाडा से 10 किमी दूर एक क्षेत्र से आए थे जहां 2018 का पहला मामला सामने आया था. प्रारंभिक लैब टेस्‍ट मापदंडों ने संकेत दिया था कि यह निपाह हो सकता है. 2018 की तरह, हमारा संदेह तीन कारकों के आधार पर बढ़ गया था. इनमें असामान्य नैदानिक ​​​​लक्षण, क्लस्टरिंग और एक इंडेक्स मामले के साथ संपर्क और प्रारंभिक रक्त और अन्य परीक्षणों ने ऐसी आशंका की ओर इशारा किया था.

इसके अलावा, अस्पताल को सोमवार को अयनचेरी पंचायत से एक और मरीज (40 वर्षीय पुरुष) मिला. उन्हें बुखार के कारण वडकारा के एक अस्पताल द्वारा रेफर किया गया था, जिसे तीसरे दिन सांस लेने में कठिनाई हो रही थी. उसे गंभीर हालत में आपातकालीन विंग में पहुंचाया गया और इलाज शुरू होने से पहले ही कार्डियक अरेस्ट से उसकी मृत्यु हो गई. डॉ. कुमार ने कहा कि हमने उसकी बीमारी के बढ़ने में निमोनिया के मामलों से अलग एक असामान्य पैटर्न पाया. हमने पाया कि वह अपने पिता के इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में गया था. लगभग उसी समय जब पहला मरीज अस्पताल के आपातकालीन विंग में मौजूद था.

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