भारत सरकार भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को देश लाने की कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार ने फ्रांस के अधिकारियों से बिना शर्त माल्या को भारत को सौंपने की मांग की है। द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी।
माल्या अभी ब्रिटेन में है, लेकिन भारत इस वक्त हर उस देश से संपर्क कर रहा है, जहां माल्या की प्रॉपर्टी है। ऐसा इसलिए, अगर माल्या ब्रिटेन छोड़कर दूसरे देश भागता है तो उसे वहां से भारत लाने में ज्यादा समय न लगे।
फ्रांस ने शर्तों के साथ प्रत्यर्पण का ऑफर दिया
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और फ्रांस के बीच में माल्या के प्रत्यर्पण पर बातचीत 15 अप्रैल को काउंटर-टेररिज्म के वर्किंग ग्रुप की एक बैठक के दौरान हुई। हालांकि, इसकी जानकारी अब सामने आई है। फ्रांस ने इस बैठक में कुछ शर्तों के साथ माल्या के प्रत्यर्पण का ऑफर दिया, लेकिन भारत ने उनसे शर्तें हटाने को कहा है।
इस बैठक में भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी केडी देवल शामिल हुए थे। इसके अलावा बैठक में इंटेलिजेंस एजेंसी के कई अधिकारी भी मौजूद रहे। किंगफिशर एयरलाइंस समेत कई कंपनियों के मालिक रहे भारतीय बिजनेसमैन विजय माल्या पर देश के 17 बैंकों के करीब 9 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं।
2019 में विजय माल्या को भगोड़ा घोषित किया गया
माल्या 2016 में देश छोड़कर ब्रिटेन भाग गया था, जहां से भारत सरकार उसे देश लाने का प्रयास कर रही है। माल्या पर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के केस चल रहे हैं। 5 जनवरी 2019 को अदालत ने विजय माल्या को भगोड़ा घोषित कर दिया था।
पिछले साल जांच के दौरान CBI ने दावा किया था कि माल्या ने साल 2015-16 के दौरान ब्रिटेन और फ्रांस में 330 करोड़ रुपए की संपत्तियां खरीदी थीं। उस वक्त उसकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस घाटे में थी। माल्या ने खुद बैंकों को कर्ज नहीं चुकाया था। साल 2020 में ED की अपील पर फ्रांस ने वहां मौजूद माल्या की 14 करोड़ की प्रॉपर्टी को सीज कर लिया था।
किंगफिशर कंपनी के बनने और दिवालिया होने की कहानी
पिता विट्ठल माल्या के निधन के बाद विजय माल्या ने साल 1978 यूनाइटेड ब्रूरीज (UB) कंपनी के अंडर किंगफिशर प्रीमियम नाम से बियर कंपनी लॉन्च की थी। 44 साल की उम्र में माल्या यूनाइटेड बुअरीज ग्रुप के चेयरमैन बन गए थे। माना जाता है कि अपनी बियर को और ज्यादा प्रमोट करने के लिए माल्या ने साल 2005 में किंगफिशर एयरलाइन्स लॉन्च की।
इसके बाद IPL टीम से लेकर फॉर्मूला वन टीम खरीदना तक को किंगफिशर के एक्सटेंडेड मार्केटिंग स्ट्रैटजी की तरह देखा गया। माल्या ने किंगफिशर के नाम से कैलेंडर निकालना भी शुरू किया था, जिसमें मॉडल्स को प्रेजेंट किया जाता था।
साल 2011 से किंगफिशर एयरलाइन घाटे में जाने लगी। 2012 तक हालात इतने खराब हो गए कि कुछ विमानों की उड़ान रोकनी पड़ी। कर्मचारियों को सैलरी मिलनी बंद हो गई। धरना प्रदर्शन होने लगे।
2012 के आखिर तक आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट्स की उड़ान ठप हो गई। 20 अक्टूबर को डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने लाइसेंस रद्द कर दिया। फ्लाइट्स के ऑपरेशन्स को लेकर रेगुलेटर की शर्तें पूरी ना करने पर यह कार्रवाई हुई। फरवरी 2013 में इंटरनेशनल फ्लाइंग राइट्स को भी सस्पेंड कर दिया गया।
जुलाई 2014 तक कंपनी पर करीब 9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था, जिसे चुकाया नहीं गया था। इसके बाद कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया था।
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