गहलोत राज के गांधी वाटिका ट्रस्ट को खत्म करेगी सरकार जयपुर में राहुल गाधी और खरगे ने किया था उद्घाटन, बजट की कमी के कारण फैसला

अब भजनलाल सरकार पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की ओर से बनाई गई गांधी वाटिका ट्रस्ट को खत्म करेगी और इसकी संपत्तियों के प्रबंधन एवं संचालन का जिम्मा खुद संभालेगी। गहलोत सरकार के अंतिम छह महीनों की घोषणाओं एवं कार्यों की समीक्षा के लिए गठित मंत्रीमंडलीय समिति ने इसकी सिफारिश का फैसला किया है। इसके लिए सरकार को पिछली सरकार की ओर से लाए गए गांधी वाटिका ट्रस्ट जयपुर अधिनियम-2023 को वापस लेना होगा। कैबिनेट में मुहर लगते ही सरकार की ओर से सदन में यह कानून वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

फैसला इसलिए...
राज्य सरकार के अनुसार गांधी वाटिका ट्रस्ट में कानूनन अध्यक्ष भले सीएम को बनाया है, लेकिन तमाम अधिकार जैसे सारी चल-अचल संपत्तियों के प्रत्यावर्तन, संचालन एवं प्रबंधन और उसके लिए अंतिम निर्णय का अधिकार उपाध्यक्ष को दिए गए हैं। समिति में 15 सदस्यों की जगह रखी गई है।

मुख्य सचिव, प्रमुख वित्त सचिव, पुरातत्व, गांधी एवं अहिंसा विभाग के सचिव और जेडीसी को इसका पदेन सदस्य नियुक्ति किया गया था। लेकिन, इसमें सारे निर्णय लेने का अधिकार उपाध्यक्ष के पास ही हैं। साथ इसमें उपाध्यक्ष एवं सदस्यों को मानदेय भी दिया जाना तय है। आर्थिक भार हटाने के लिए भी सरकार ने ट्रस्ट को खत्म करने का फैसला किया है।

कला, संस्कृति व पुरातत्व विभाग को जिम्मा संभव

राज्य सरकार का मानना है कि गांधी वाटिका के लिए 100 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था। इसमें 85 करोड़ खर्च हो चुके हैं। बाकी पैसों से और भी ऐसे कार्य करवाए जा सकते हैं जिससे यहां आने वाले को सुविधा मिले और इसके संचालन को लेकर आर्थिक मदद भी मिलती रहे। इसे चलाने का जिम्मा कला, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग को मिल सकता है। शांति एवं अंहिसा विभाग को भी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

महात्मा गांधी के विचारों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए गहलोत सरकार ने जयपुर के सेंट्रल पार्क में 85 करोड़ से गांधी वाटिका का निर्माण कराया था। चुनावों से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने इसका उद्‌घाटन किया था।

  • गांधी वाटिका ट्रस्ट को कानूनी जामा पहनाने के लिए विधानसभा में बिल भी पास करवाया था।

ट्रस्ट के पहले अध्यक्ष बने थे कुमार प्रशांत

राज्यपाल की मंजूरी के बाद सरकार ने आचार संहिता से पहले ट्रस्ट का गठन कर उपाध्यक्ष, 15 सदस्यों की नियुक्ति की थी।नियमानुसार 6 महीने में एक बैठक होना जरूरी है और लेकिन आज तक एक भी बैठक नहीं हुई।

नई दिल्ली के कुमार प्रशांत को ट्रस्ट का पहली बार उपाध्यक्ष बनाया गया है। पद्मभूषण से सम्मानित जयपुर के गांधीवादी डीआर मेहता, बनारस के सतीश राव, महाराष्ट्र के मनोज ठाकरे एवं भारत दोसी, पूर्व महाधिवक्ता जीएस बापना, पूर्व विधायक गोपाल बाहेती, जयपुर के मनीष शर्मा, डाॅ. निजाम, जोधपुर की आशा बोथरा, झुंझुनूं के धर्मवीर कटेवा, बांसवाड़ा के रमेश पंड्या, अलवर के सवाई सिंह और भरतपुर के ऋषभ कुमार शर्मा को ट्रस्ट में सदस्य बनाए गए।

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