वहीं जयपुर रीजन-द्वितीय व अजमेर रीजन के एसीई ओरिजनल रिकाॅर्ड, ई-मेल से हुआ संवाद की काॅपी दिल्ली के सीबीआई दफ्तर में देकर आए है। सीबीआई ने इन तीनों दफ्तरों से जनवरी 2023 से जुलाई 2023 के बीच के टेंडर व इरकाॅन के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र से दिए टेंडरों का रिकॉर्ड मांगा है। उस समय जयपुर रीजन-प्रथम के एडिशनल चीफ इंजीनियर अरूण श्रीवास्तव, जयपुर रीजन- द्वितीय के एसीई आरसी मीणा व अजमेर रीजन के एसीई परितोष गुप्ता व एमपी सोनी पदस्थापित थे।
दो फर्मों की 10 प्रतिशत कार्यों की जांच में 50 करोड़ का घोटाला
विभाग के सचिव डा. समित शर्मा ने जेजेएम में हुए फर्जीवाड़ा की शिकायतों के बाद मैसर्स श्रीगणपति ट्यूबवेल कंपनी (शाहपुरा) व मैसर्स श्रीश्याम ट्यूबवेल कंपनी के कार्यों की जांच करवाई। जयपुर रीजन प्रथम व द्वितीय व अलवर रीजन की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि पाइप लाइन बिछाने बिना ही इंजीनियरों ने दोनों फर्मों को 70 से 90% फर्जी भुगतान कर दिया। इसके अलावा जो पाइप मौके पर मिलने थे, वो भी गायब है दोनों फर्मों ने पाइप कंपनियों के नाम से करोड़ों के फर्जी बिल उठाए। अलवर रीजन में थानागाजी और नारायणपुर में जांच की। वहां मैसर्स श्रीगणपति ट्यूबवेल कंपनी के 6 करोड 42 लाख के पाइप गायब मिले।
बिना लैब टेस्ट के लिए फर्जीवाड़े से पाइप बिछाए गए। जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी के रिश्तेदार की फर्म मैसर्स डागर इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से करीब 90 लाख के फर्जी बिल बना दिए। कुल 13 करोड का फर्जी भुगतान हुआ। पाइप कंपनी गडिया सेल्स के नाम से भी फर्जी बिल बनाए।
घोटाले में 4 गिरफ्तार, चार्जशीट पेश
जेजेएम घोटाले में अब तक ठेकेदार पीयूष जैन, पदमचंद जैन, महेश मित्तल व प्रोपर्टी कारोबारी संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है। ईडी इनकी चार्जशीट कोर्ट में पेश कर चुकी है। फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले मुकेश पाठक भी आरोपी हैं। जानकारी मिली है कि जेजेएम घोटाले की बड़ी रकम प्रोपर्टी कारोबारी संजय बड़ाया ने जगतपुरा, मानसरोवर, मालवीयनगर, आगरा रोड, दौसा, टोंक रोड क्षेत्र में प्राइम लोकेशन की बेशकीमती जमीनों में निवेश किया है। जमीन दिलवाने वाले दलालों व ब्रोकरों को भी जांच के दायरे में लिया है। अधिकांश चीफ इंजीनियर सीबीआई व ईडी की जांच के दायरे में है।
तीन साल से चल रहा था फर्जीवाड़ा
मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी (शाहपुरा) व मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के साथ ही दूसरी कंपनियां जेजेएम में ज्यादा काम लेने के लिए पिछले तीन साल से फर्जी अनुभव व आय प्रमाण पत्र लगा कर टेंडर ले रही थी। पिछले साल एसीबी ने बनीपार्क में एक ठेकेदार के ठिकाने पर छापा मारा था।
एसीबी टीम ने विभाग के ठेकेदार पदम चंद जैन व एक्सईएन मायालाल सैनी को गिरफ्तार किया था। एसीबी को जयपुर ग्रामीण के डिविजन-प्रथम व द्वितीय, दूदू, सांभर, कोटपूतली, सीकर, उदयपुर, मुहाना, अलवर, दौसा में जल जीवन मिशन के टेंडरों व वहां हुए फर्जी भुगतान की जानकारी मिली थी।।
जल जीवन मिशन (जेजेएम) में घोटाला, फर्जीवाड़ा व फर्जी आय व अनुभव प्रमाण पत्र से करोड़ों रुपए के टेंडर हासिल करने वाले ठेकेदारों व इससे जुड़े इंजीनीयरों की दिक्कत बढ़ती जा रही है। जेजेएम के घोटालों पर ईडी के बाद सीबीआई ने भी शिकंजा कस लिया है। सीबीआई ने जयपुर रीजन-प्रथम, जयपुर रीजन- द्वितीय व अजमेर रीजन के अधिकारियों को जेजेएम के टेंडरों व वर्कऑर्डर सहित पूरा रिकॉर्ड तलब किया है।
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