धरतेरस के साथ मंगलवार को दीपोत्सव की शुरुआत हो गई। इस बार ये पर्व पांच की जगह छह दिन मनाया जाएगा। इसकी वजह है दिवाली को लेकर असमंजस।
हालांकि ज्यादातर स्थानों पर दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जा रही। कुछ स्थानों पर 1 नवंबर को भी पूजन किया जाएगा। एक दिन 1 घंटे 45 मिनट, दूसरे दिन सिर्फ 41 मिनट शुभ मुहूर्त रहेगा।
जहां 31 अक्टूबर को दिवाली मनाएंगे, वहां 1 नवंबर को स्नान-दान की कार्तिक अमावस्या मनाई जाएगी। जिन जिलों में 1 नवंबर को दिवाली पूजन होगा, वहां 30 और 31 अक्टूबर को चतुर्दशी मानी जा रही है।
हमने विनोद बिहारी राजमिश्र, मुकेश भारद्वाज और पंडित नरेश जोशी से बात कर जाना कि 31 अक्टूबर को दिवाली मनाते हैं तो पूजन का मुहूर्त क्या रहेगा और 1 नवंबर को पूजन करते हैं तो मुहूर्त क्या रहेगा। इसके अलावा रूप चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा और भैया दूज के मुहूर्त बारे में भी जाना।
30 अक्टूबर : रूप चतुर्दशी
ज्योतिष साक्षी शर्मा ने बताया बुधवार को रूप चतुर्दशी मनाई जाएगी। प्रातः काल अरुणोदय काल में सुगंधित तिल के तेल की मालिश करके स्नान करना चाहिए। चतुर्दशी में तेल में महालक्ष्मी का वास और जल में गंगा का वास रहता है। मदन पारिजात में वृद्धमनु ने यम तर्पण करने का भी विधान कहा है। प्रदोष काल शाम 5.43 से रात 8.16 तक है।
गोवर्धन पूजा : 2 नवंबर दीपावली के बाद दीपोत्सव में गाेवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। इसकी पूजा का समय प्रातः 8:03 से 9:26 शुभ का चौघड़िया में है। दोपहर 1:33 से 4:17 तक लाभ अमृत का चौघड़िया है। सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल संकल्प 5:41 से 8:05 तक रहेगा।
भैया दूज : 3 नवम्बर पंडित विक्रम जोशी ने बताया दीपोत्सव के तहत भैया दूज तीन नवम्बर को मनाया जाएगा। इसके तहत चित्रगुप्त पूजा, कलम दवात पूजा, विश्वकर्मा पूजा होगी। इसका मुहुर्त प्रातः 8:04 से 9:26 तक चर का चौघड़िया में है। 9:26 से 12:10 तक लाभ एवं अमृत का चौघड़िया है। दोपहर 1:32 से 2:55 तक शुभ का चौघड़िया है।
ज्यादातर जिलों में 31 को मनाएंगे दिवाली जयपुर, कोटा, सीकर सहित प्रदेश के ज्यादातर जिलों में 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी। वहीं मारवाड़ के जिलों (जाेधपुर, पाली, भीलवाड़ा और जालोर) में ज्यादातर लोग 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन का तर्क दे रहे हैं।
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