जयपुर. राजस्थान में अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। कोयला की पूरी सप्लाई नहीं होने के कारण बिजली संकट के दौर से गुजर रहे राजस्थान को केन्द्र सरकार के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार से परसा कोल ब्लॉक माइंस से खनन क्लीयरेंस तो मिल गई है। लेकिन नई खान से कोयला निकालकर प्रोडक्शन वर्क और सप्लाई शुरू कर प्लांट्स तक कोयला पहुंचाने में महीने भर का वक्त और लगेगा। मई के दूसरे पखवाड़े से पहले परसा कोल ब्लॉक की नई खान से कोयला मिलने की सम्भावना नहीं है। तब तक राजस्थान में कोयला संकट और पावर कट की समस्या बनी रहने की आशंका है। सूत्र बताते हैं कि कभी भी ऑफिशियली शटडाउन के नाम पर बिजली कटौती के आदेश जारी किए जा सकते हैं। क्योंकि तेज गर्मी और लू के कारण एसी, कूलर, पंखे, कूलिंग प्लांट्स के साथ ही खेतीबाड़ी में सिंचाई के लिए भी बिजली की डिमांड 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई है। मार्च अंत से अप्रैल के पहले हफ्ते तक यह बढ़ोतरी दर्ज हुई है। बिजली का कन्जम्पशन लगातार बढ़ रहा है जिससे ट्रिपिंग के मामले भी बढ़ने लगे हैं। ऐसे में 6 से 8 घंटे की बिजली कटौती ग्रामीण और कस्बाई इलाके में की जा सकती है। ताकि बिजली की डिमांड और उपलब्धता को मेंटेन किया जा सके। डिस्कॉम सूत्र बताते हैं कि मार्च से शुरू हुई तेज गर्मी अप्रैल में जिस तरह लू में बदल चुकी है और झुलसा रही है। अंदेशा है कि इस बार बिजली की खपत का आंकड़ा पिछले साल से ज्यादा होगा। बीते साल बिजली की रोजाना औसत खपत 1990 लाख यूनिट रही थी। लेकिन मौजूदा वक्त में बिजली की प्रतिदिन खपत 2500 लाख यूनिट तक पहुंच चुकी है। ट्रांसफॉर्मर और लाइनों पर ज्यादा लोड पड़ने से ट्रिपिंग और फाल्ट के मामले में भी सामने आने लगे हैं। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर, सीकर, झुंझुनूं, टोंक, दौसा, करौली, धौलपुर, अलवर, भरतपुर, भीलवाड़ा, पाली, गंगानगर समेत कई जिलों में अलग-अलग इलाकों में अघोषित बिजली कटौती या फाल्ट के मामले आने शुरू हो गए हैं। जिससे आम उपभोक्ताओं को परेशान होना पड़ रहा है। पीक आवर्स के अलावा दोपहर में भी बत्ती गुल हो रही है।
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