देवघर. झारखंड के देवघर में त्रिकूट पहाड़ पर हुए रोप-वे हादसे के बाद सोमवार की सुबह राहत और बचाव कार्य फिर शुरू किया। हालांकि, तारों के जाल के कारण NDRF और सेना के कमांडो छह घंटे की मशक्कत के बाद भी रेस्क्यू नहीं कर पाए हैं। ऑपरेशन में दो हेलिकॉप्टर लगे हैं। स्थिति यह है कि रविवार की शाम करीब 4 बजे से 48 लोग 20 घंटे से ज्यादा समय से ट्रॉली में फंसे हवा में लटके हैं। फंसे हुए लोगों तक खाना और पानी ड्रोन से पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। रातभर लोग रोप-वे की ट्रॉली में बैठे हवा में लटके रहे। एक-दूसरे से बात करके डर को खत्म किया। सुबह होते ही सेना ने रेस्क्यू शुरू कर दिया। सुबह करीब साढ़े छह बजे वायु सेना का हेलिकॉप्टर पहुंचा। इसमें कमांडो भी मौजूद हैं। हेलिकॉप्टर ने ऑपरेशन शुरू करने से पहले हवाई सर्वे किया। हवा में अटके ट्राॅली में फंसे लोगों को सुरक्षित नीचे उतारने की योजना तैयार की गई। केबिन जमीन से करीब 2500 फीट की ऊंचाई पर है। लिहाजा ऑपरेशन शुरू करने से पहले सुरक्षा के पुख्ता इंतजार किए जा रहे हैं। हादसे में फंसे हुए लोगों की पहचान देवघर के अमित कुमार, खुशबू कुमारी, जया कुमारी, छठी लाल शाह, कर्तव्य राम, वीर कुमार, नमन, अभिषेक, भागलपुर के धीरज, कौशल्या देवी, अन्नु कुमारी, तनु कुमारी, डिंपल कुमार व वाहन चालक, मालदा के पुतुल शर्मा, सुधीर दत्ता, सौरव दास, नमिता, विनय दास के रूप में की गई है। ट्रॉली में फंसे हुए लोगों ने पूरी रात एक-दूसरे से बातचीत करते हुए समय गुजारा। एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने का प्रयास किया। सुबह करीब 5 बजे से दोबारा रेस्क्यू शुरू किया गया। देर रात केबिन में फंसे लोगों तक खाने का पैकेट पहुंचाने की कोशिश हुई।
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