जयपुर. 2018 में सरकार बनने के बाद 3 साल तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस में सबकुछ ठीक होने का दावा और दिखावा किया, लेकिन पिछले एक साल में दोनों के मनभेद और मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। ताजा मामला आजादी यात्रा का है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रभारी अजय माकन और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जयपुर से एक ही प्लेन में उदयपुर और फिर वहां से हेलिकॉप्टर से गुजरात बॉर्डर गए। शुक्रवार सुबह सचिन पायलट जयपुर में थे, लेकिन उन्हें साथ नहीं लिया। इस सियासी शतरंज में दोनों एक-दूसरे पर वार करने का एक भी मौका चूकते नहीं हैं। पायलट बार-बार दिल्ली में राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी से मिलकर सियासी शतरंज के इस खेल में गहलोत को शह देने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं गहलोत भी अपने बयानों से पायलट को मात देने का प्रयास करते हैं। पायलट भी बयानों के तीर चलाने में पीछे नहीं हैं। खेमों में बंटी कांग्रेस के लिए दोनों गुटों को संतुष्ट रखना बड़ी चुनौती बना हुआ है। आलाकमान भी दोनों के मनभेद दूर नहीं कर पा रहा है। इसकी शुरुआत 2021 में हुई, जब पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायकों की बाड़ेबंदी हुई थी। उस समय गहलोत ने पायलट को निकम्मा-नाकारा तक कह दिया था। आलाकमान के निर्देश पर दोनों ने हाथ तो मिला लिए लेकिन दिल अब भी नहीं मिले।
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