नई दिल्ली. सोनिया गांधी के आवास पर 10 दिनों तक चली लंबी एक्सरसाइज के बाद प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में शामिल होने का ऑफर ठुकरा दिया है। प्रशांत ने प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि कांग्रेस को मेरी नहीं, अच्छी लीडरशिप और बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान PK के प्रेजेंटेशन से सहमत था और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने को भी तैयार था। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर इस बात के संकेत दिए। कांग्रेस में PK की एंट्री पर पेंच फंसने की 4 बड़ी वजहें अभी तक सामने आ रही है। आइए एक-एक करके इन्हें समझते हैं। PK चाहते थे कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद वे सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को रिपोर्ट करें। प्रेजेंटेशन के बाद हाईकमान ने एक कमेटी बनाई और फिर एम्पावर्ड ग्रुप बनाने की घोषणा कर दी। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने PK को इस ग्रुप में शामिल होकर काम करने का ऑफर दिया था, जिसे प्रशांत ने खारिज कर दिया। प्रशांत किशोर ने अपने प्रेजेंटेशन में चुनावी अलांयस पर जोर दिया था। PK ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस बिहार, यूपी, ओडिशा में एकला चलो और महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बंगाल में गठबंधन करे। प्रशांत इस पूरी योजना को लीड करना चाहते थे। मगर कांग्रेस हाईकमान गठबंधन पर फैसले की शक्ति खुद के पास रखना चाहता था। इतना ही नहीं, कांग्रेस कमेटी ने शर्त रखी कि पार्टी में शामिल होने के बाद PK को सभी दलों के साथ दोस्ती खत्म करनी होगी। प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी के अंदर संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव करना चाह रहे थे। PK ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस में सभी पदों पर 'फिक्स्ड टर्म फॉर्मूला' लागू हो। इस फॉर्मूले के तहत प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष 3 साल से अधिक अपने पद पर नहीं रह सकते थे। प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीति बनाने के क्षेत्र में कदम रखने के बाद एक कंपनी I-PAC बनाई थी। यह कंपनी जगनमोहन रेड्डी, एमके स्टालिन, अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के साथ चुनावी प्रबंधन का काम कर चुकी है।
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