जयपुर. ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच एक बार फिर जुबानी जंग शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शेखावत के बयान पर पलटवार किया है। सीएम अशोक गहलोत ने बयान जारी कर कहा-पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने में कोई अड़चन नहीं है। परियोजना की DPR को तत्कालीन भाजपा सरकार ने ही साल 2017 में केंद्र सरकार के उपक्रम वेप्कोस लिमिटेड के माध्यम के तैयार करवाया गया था। वेप्कोस लिमिटेड जल परियोजनाओं के क्षेत्र की एक जानीमानी अंतरर्राष्ट्रीय कंसलटेंसी संस्था है। परियोजना की डीपीआर उस समय राजस्थान रिवर बेसिन ऑथिरिटी के चैयरमेन श्रीराम वेदिरे की देखरेख में बनाई गई थी। वर्तमान में श्रीराम वेदिरे केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय में सलाहकार भी है। उनके मंत्रालय के सलाहकार के मार्गदर्शन में बनी इस DPR पर जलशक्ति मंत्री का सवाल उठाने का कोई औचित्य समझ नहीं आता है। गहलोत ने कहा- इस परियोजना से संबंधित सभी मापदंड केंद्रीय जल आयोग की गाइडलाइंस के अनुसार ही रखे गए थे। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री के प्रस्तावित मापदण्ड परिवर्तन से पूर्वी राजस्थान के किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध नहीं हो पाएगा। पूर्वी राजस्थान में 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में मिलने वाली सिंचाई सुविधा से किसानों को वंचित नहीं किया जा सकता है। अगर केन्द्र सरकार की बात मानी तो पूर्वी राजस्थान का हाल बुन्देलखण्ड जैसा हो जाएगा और 13 जिलों के किसानों की भूमि प्यासी रह जाएगी। राजस्थान एक मरुस्थलीय प्रदेश है जहां बारिश भी कम होती है और एक भी बारहमासी नदी नहीं है। ऐसे में राजस्थान की तुलना किसी दूसरे राज्य से करना न्यायोचित नहीं है।
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