नई दिल्ली. देशद्रोह कानून पर केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को IPC की धारा 124ए के प्रावधानों पर फिर से विचार करने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक री-एग्जामिन प्रोसेस पूरी नहीं हो जाती, तब तक 124ए के तहत कोई मामला दर्ज नहीं होगा। इसके पहले सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि IPC की धारा 124ए पर रोक न लगाई जाए। उन्होंने यह प्रस्ताव दिया है कि भविष्य में इस कानून के तहत FIR पुलिस अधीक्षक की जांच और सहमति के बाद ही दर्ज की जाए। केंद्र ने कहा कि जहां तक लंबित मामलों का सवाल है, संबंधित अदालतों को आरोपियों की जमानत पर शीघ्रता से विचार करने का निर्देश दिया जा सकता है। गौरतलब है कि देशद्रोह के मामलों में धारा 124A से जुड़ी 10 से ज्यादा याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत पांच पक्षों की तरफ से देशद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई थी। मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आज के समय में इस कानून की जरूरत नहीं है। इस मामले की सुनवाई CJI एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच कर रही है। इस बेंच में जस्टिस सूर्यकांत त्रिपाठी और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या इस एक्ट में नए केस दर्ज होंगे या नहीं? कोर्ट ने यह भी पूछा था- देश में अभी तक जितने IPC 124-A एक्ट के तहत केस हैं, उनका क्या होगा? वह राज्य सरकारों को निर्देश क्यों नहीं दे रहा है कि जब तक इस कानून को लेकर पुनर्विचार प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक 124ए के तहत मामलों को स्थगित रखा जाए।
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