नई दिल्ली. बिल्डिंग की पहली मंजिल पर धुएं से दम घुट रहा है, दीवारों से खौलता पानी रिस रहा है और लोहे के दरवाजे चूल्हे पर चढ़े तवे से भी ज्यादा गर्म है। फ्लोर पर फैली तपिश शरीर के अंदर तक महसूस हो रही है। चारों तरफ राख के ढेर हैं और ढेर से धुआं उठ रहा है। फ्लोर के कोने में अभी भी आग सुलग रही है।’ पश्चिमी दिल्ली के मुंडका की चार मंजिला इमारत में लगी आग ने 27 लोगों की जिंदगी लील ली। 13 मई को शाम करीब 4.30 बजे बिल्डिंग में आग लगना शुरू हुई और जल्द ही आग ने पूरी इमारत को गिरफ्त में ले लिया। रात 10 बजे के बाद ही आग पर काबू पाया जा सकता है। दैनिक भास्कर की टीम रात 3.30 बजे उसी चार मंजिला इमारत में दाखिल हुई। बिल्डिंग का मुख्य दरवाजा दायीं ओर की गली से होकर जाता है। मेन गेट की एंट्री इतनी संकरी है कि एक बार में एक ही व्यक्ति या तो अंदर जा सकता है या बाहर आ सकता है। जब हम बिल्डिंग में अंदर दाखिल हो रहे थे तो चारों तरफ कांच ही कांच बिखरा पड़ा था। मेन गेट के अंदर घुसते हुए ही दायीं तरफ लिफ्ट थी और सामने सीढ़ियां जो ऊपर के फ्लोर की तरफ जा रही थीं। सीढ़ियों की चौड़ाई करीब 3 फुट ही है। पूरी इमारत में हमने दरवाजों के आसपास और सीलिंग पर फायर फाइटिंग उपकरणों को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन ना ही कोई फायर एस्टिंगुशर मिला, ना ही कोई हाइड्रेंड मिला। सीलिंग पर कोई लाल रंग के पाइप नहीं थे, जिससे आपातकालीन स्थिति में आग बुझाई जा सके। जैसे-जैसे हम इमारत में ऊपर की तरफ बढ़ रहे थे तपिश बढ़ती जा रही थी। फायर टेंडर ने जो पानी की बौछारें इमारत पर बरसाई थीं, वो पानी गर्म होकर जगह-जगह से टपक रहा था। बिल्डिंग में सिर्फ मेन स्ट्रक्टर के पिलर ही दिख रहे थे और बाकी का सारा सामान टेबल, कुर्सियां, काजगात सब कुछ राख हो चुका था। राख में से तब भी धुआं उठ रहा था।
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