जयपुर. उदयपुर में तीन दिन के चिंतन शिविर में पार्टी में बदलावों का फैसला करने के बाद राहुल गांधी सोमवार को बेणश्वर धाम हाई लेवल का ब्रिज का शिलान्यास किया। इसके साथ ही राहुल गांधी सभा को भी संबोधित करेंगे। दक्षिणी राजस्थान में इस स्थान पर सभा का सियासी मैसेज है। चिंतन शिविर खत्म होने के ठीक अगले दिन होने जा रही सभा को आदिवासी इलाके की राजनीति के हिसाब से अहम माना जा रहा है। आदिवासी कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा है, लेकिन बीजेपी के बाद स्थानीय पार्टियों ने इसमें सेंध लगा दी है। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के उभार के बाद कांग्रेस को बांसवाड़ा-डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और उदयपुर के आदिवासी बहुल सीटों पर भारी नुकसान उठाना पड़ा था। बीटीपी ने पिछल बार दो सीटें जीतीं थीं। इस बार गुजरात में बीटेपी और आम आदमी पार्टी का गठबंधन है। इस गठबंधन का कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। इस गठबंधन से कांग्रेस की चिंताएं और बढ़ गई हैं। सचिन पायलट के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए बांसवाड़ा डूंगरपुर के अलावा बेणेश्वर में राहुल गांधी की सभाएं हो चुकी हैं। बेणेश्वर धाम की सभा आदिवासी इलाके में सियासी मैसेज देने के हिसाब से अहम मानी जाती हैं। लोकसभा चुनाव के वक्त भी अप्रैल 2019 में बेणेश्वर में सभा हुई थी, लेकिन कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। इससे पहले सोनिया गांधी की भी सीएम अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल से पहले और बाद में सभाएं हुई थीं। बेणेश्वर धाम आदिवासी आस्था का बड़ा केंद्र है। दक्षिणी राजस्थान के अलावा गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासियों में भी बेणेश्वर धाम की श्रद्धा है। यहां सभा करने से तीन राज्यों के आदिवासियों में मैसेज जाता है। गुजरात में इसी साल चुनाव हैं। पिछले दिनों ही गुजरात के दाहोद में राहुल गांधी की सभा हो चुकी है।
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