तिरुमाला. हनुमान जन्म स्थान को लेकर अभी तक जो विवाद जुबानी था, मंगलवार को वो हाथापाई तक पहुंच गया। महाराष्ट्र के नासिक में धर्म संसद बुलाई गई थी, उसमें ये तय होना था कि हनुमान जी का जन्म आखिर कहां हुआ।धर्म संसद में ये बात तय तो नहीं हो पाई, लेकिन जो साधु-संत बातचीत के लिए इकट्ठा हुए थे, वे लड़ जरूर पड़े। नासिक के कालाराम मंदिर के महंत सुधीरदास और कर्नाटक के किष्किंधा के महंत गोविंदानंद सरस्वती के बीच झगड़ा हो गया। हालात यहां तक आ गए कि महंत सुधीरदास ने गोविंदानंद सरस्वती को मारने के लिए रिपोर्टर का माइक छीन लिया। हालांकि मारपीट शुरू होने से पहले हालात नियंत्रण में आ गए। इसके बाद धर्म संसद बिना किसी नतीजे के रद्द हो गई। धर्म संसद में नासिक, त्रयम्बकेश्वर, कर्नाटक और सोलापुर के करीब 20-25 साधु-संत शामिल हुए थे। भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेकर कर्नाटक के किष्किंधा, महाराष्ट्र के नासिक और आंध्रप्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के अपने-अपने दावे हैं। गुजरात, झारखंड, बिहार में भी हनुमान जन्मस्थान का दावा किया जा चुका है। इस विवाद को सुलझाने के लिए 31 मई, यानी आज नासिक में महंत श्री मंडलाचार्य पीठाधीश्वर स्वामी अनिकेत शास्त्री देशपांडे महाराज ने धर्म संसद बुलाई थी। हनुमान जयंती के मौके पर भास्कर कर्नाटक के किष्किंधा और आंध्रप्रदेश के TTD पहुंचा था और हनुमान जन्मस्थान को लेकर एक-एक तथ्य खंगाले थे। हम TTD इसलिए गए थे, क्योंकि वहां हनुमान जी के जन्मस्थान का न सिर्फ दावा किया गया है बल्कि एक बुकलेट भी पब्लिश कर दी गई है, जिसमें जन्मस्थान के प्रमाण दिए गए हैं। यहां TTD निर्माणकार्य भी शुरू करने वाला था, जिस पर आंध्रप्रदेश के हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हालांकि हमें जो प्रमाण मिले थे, उसमें कर्नाटक के किष्किंधा का दावा ही ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है। यहां जन्म के 5 मजबूत प्रमाण मिले हैं। जिसमें गुफाएं, सुनहरा पर्वत, पत्थरों से बनी नगरी, पंपा नंदी, बालि-सुग्रीव किला शामिल है। 45 दिन पहले पब्लिश रिपोर्ट को हम दोबारा आपके साथ साझा कर रहे हैं।
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