अहमदाबाद. गुजरात के बोटाद जिले में जहरीली शराब पीने से अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 की हालत गंभीर है। सोमवार को इस मामले में 10 लोगों की मौत हुई थी। वहीं 19 लोगों की आज इलाज के दौरान मौत हो गई। इस केस में मुख्य आरोपी समेत 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मामले की जांच SIT ने शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में पता चला है कि सोमवार को बरवाला के रोजिद गांव में एक शराब भट्टी पर 8 गांव के लोग शराब पीने आए थे। शराब की जगह वहां लोगों को मेथेनॉल केमिकल दिया गया था। यह मेथेनॉल अहमदाबाद से लाया गया था। जहरीली शराब पीकर मरने वालों के शवों को श्मशान घाट ले जाने की बजाय खुले में जमीन पर ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। सबसे ज्यादा रोजिंद गांव में 9 लोगों के शव का अंतिम संस्कार किया गया है। जहरीली शराब से रोजिंद के अलावा रेस, चौकड़ी, धंधुका, नभोई, रणपरी, पोलरपुर और चौरागा में मातम है। जिले के प्रभारी मंत्री वीनू मरोदिया ने कहा कि ये घटना दुखद और शर्मनाक है। हम इसकी जांच करेंगे कि शराबबंदी के बावजूद राज्य में शराब कैसे और कौन बेच रहा है? दोषी पुलिस अधिकारियों पर भी कार्रवाई करेंगे। कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि शराबबंदी वाले गुजरात में जहरीली शराब कैसे मिली? उन्होंने कहा- सरकार ने DSP को जांच की जिम्मेदारी दी है, लेकिन पुलिस की भूमिका खुद संदिग्ध है, ऐसे में सही जांच कैसे हो पाएगी। गुजरात में 1960 से ही शराबबंदी लागू है। 2017 में गुजरात सरकार ने शराबबंदी से जुड़े कानून को और सख्त कर दिया था। इसके तहत अगर कोई गैरकानूनी तरीके से शराब की बिक्री करता है, तो उसे 10 साल कैद और 5 लाख रुपए जुर्माने की सजा हो सकती है।
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