नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद सुलझाने के लिए भारत से बातचीत कर रहा चीन खुराफात से बाज नहीं आ रहा है। अब चीन सरकार तिब्बतियों को जबरन भारतीय सीमा के पास बसाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए एक लाख तिब्बतियों को 2030 तक दूसरी जगह बसाने की घोषणा की गई है। ड्रैगन का इरादा तिब्बतियों की परंपरा खत्म करना और भारत से लगे सीमावर्ती इलाकों पर नियंत्रण बढ़ाना है। यह खुलासा हॉन्गकॉन्ग की एक मीडिया रिपोर्ट में चीन के सरकारी दस्तावेजों के हवाले से किया गया है। तिब्बतियों को सीमा के करीब बसाकर भारत उन इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है, जिन्हें भारत, भूटान या नेपाल अपना मानते हैं। चीन हिमालय के विवादित क्षेत्रों में 624 बार्डर विलेज बसाने की तैयारी में है। चीन इसके पीछे पर्यावरण संरक्षण का दावा कर है, लेकिन ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं कि लोगों को विस्थापित करने से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वहीं, एक अनुमान के मुताबिक, इस जबरन पुनर्वास के चलते 20 लाख से ज्यादा तिब्बती आजीविका खो देंगे। इसके बाद उन्हें विस्थापित जीवन जीना पड़ेगा। पुनर्वास योजना के तहत 2018 से 2025 के बीच टीएआर में शिगात्से, नागचू और नगारी (अली) के स्वायत्त प्रान्तों से 1 लाख 30 हजार लोग विस्थापित होंगे। इसमें से 1 लाख को यारलुंग त्सांगपो नदी के किनारे बसाया जाएगा। जिनपिंग ने जुलाई 2021 में तिब्बत के अरुणाचल से लगने वाले बॉर्डर टाउन निंगची का दौरा किया था। स्थानीय लोगों से भी मुलाकात की थी। जिनपिंग के पहले चीन का कोई राष्ट्रपति भारत के बॉर्डर से लगने वाले इलाकों के दौरे पर नहीं गया था। ग्लोबल टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था- राष्ट्रपति जिनपिंग ने तिब्बत में तैनात बॉर्डर गार्ड बटालियन के काम की तारीफ की है। उन्होंने इसे मॉडल बटालियन बताया है। इस यूनिट ने पांच साल में अपनी जिम्मेदारियों को जिस ढंग से निभाया है वो पार्टी और लोगों को उत्साह बढ़ाते हैं।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.