नई दिल्ली. चीन का लॉन्ग मार्च 5 बी रॉकेट पृथ्वी से टकरा गया। रॉकेट पृथ्वी के एटमॉस्फियर में एंटर करते ही जल गया। लेकिन 30-31 जुलाई की दरमियानी रात रॉकेट के कुछ टुकड़े धरती पर गिरे। 25 टन का ये रॉकेट 24 जुलाई को चीन के अधूरे तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन को पूरा करने के लिए एक मॉड्यूल लेकर निकला था। इसके लॉन्च होने के बाद से वैज्ञानिकों को चिंता थी कि ये रॉकेट अंतरिक्ष से धरती पर गिर सकता है। US डिफेंस डिपार्टमेंट ऑफिशियल्स ने कहा- पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) लॉन्ग मार्च 5B (CZ-5B) पृथ्वी के एटमॉस्फियर में रि-एंटर हुआ। इसका मलबा इंडियन ओशिन के पास गिरा। सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा थी। जैसे ही रॉकेट का मलबा गिरते हुए दिखा, लोगों ने इसके वीडियो बनाए और शेयर किए। यूजर्स ने इसे बिलकुल मीटियोर शावर (उल्कापिंड की बारिश) जैसा बताया। लोगों ने कहा कि आसमान में तेज रोशनी दिखाई दी। आकाश पूरी तरह से रेड, ब्लू और येलो लाइट्स से भर गया था। एक यूजर ने लिखा- ऐसा लग रहा था कि ब्लैक कैनवस को किसी ने रंगों से भर दिया हो। वहीं, दूसरे यूजर ने लिखा- ये तो ये तो मीटियोर शावर है। चीन की स्पेस एजेंसी ने बताया कि लॉन्ग मार्च 5 रॉकेट के ज्यादातर हिस्से एटमॉस्फियर (वायुमंडल) में ही जल गए। चीनी सरकार ने कहा था कि रॉकेट के धरती पर लौटने से किसी को कोई भी खतरा नहीं होगा क्योंकि इसके समुद्र में गिरने की संभावना ज्यादा है। द एयरोस्पेस कॉरपोरेशन के मुताबिक, दुनिया की 88% से ज्यादा आबादी रॉकेट के ऑर्बिटल फुटप्रिंट के नीचे स्थित है। ऐसे में जो मलबा पृथ्वी के एटमॉस्फियर में नहीं जलता वो आबादी वाले इलाकों में गिर सकता है। लेकिन, इस मलबे से किसी को नुकसान पहुंचाने की संभावना बहुत ही कम होती है। अमेरिका के ऑर्बिटल डॉबरीज मिटिगेशन स्टैंडर्ड प्रैक्टिसेज की 2019 में जारी हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसी रॉकेट के अनियंत्रित होकर धरती में फिर से प्रवेश करने पर किसी के हताहत होने की संभावना 10,000 में एक है।
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