बांदा. बांदा में मरका घाट पर गुरुवार को हुए नाव हादसे में राहत-बचाव अभी भी जारी है। 15 लोग तैरकर बाहर आ गए थे। 17 अभी भी लापता हैं। NDRF, SDRF और PAC की 78 सदस्यीय टीम ने रात 11:10 बजे 'ऑपरेशन जिंदगी' के नाम से रेस्क्यू शुरू किया, जो रात 1 बजे तक चला। शुक्रवार सुबह 8 बजे एक बार फिर से रेस्क्यू शुरू किया गया, लेकिन अभी कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। शुक्रवार की दोपहर ग्रामीण प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। पुलिस के समझाने पर लोगों ने कहा कि प्रशासन उनके अपनों को खोज नहीं पा रहा है। 2 घंटे के भीतर यदि खोज नहीं पाए तो गांव वाले खुद ढूंढ लेंगे। NDRF कमांडेंट नीरज मिश्रा ने बताया, "पानी की गहराई 40 से 50 फीट है। अभी तक किसी की एग्जैक्ट लोकेशन का पता नहीं चल पाया है। कोई भी प्रत्यक्षदर्शी सही बात नहीं बता पा रहा है। कोई बता रहा है कि नाव बीच मझधार में पलटी है। कोई बता रहा है कि ना किनारे आते वक्त पलटी है, इसलिए ऑपरेशन में थोड़ी दिक्कत आ रही है। मटमौला पानी होने के चलते कुछ दिक्कत आ रही है।'' मरका घाट बृजकिशोर भी खड़े होकर यमुना की ओर देख रहे हैं। वे राखी बंधवाने के लिए पत्नी को लेकर कठौता जा रहे थे। तभी अचानक नाव डूब गई। उन्होंने ने किसी तरह से अपनी जान बचा ली। पत्नी का अभी तक पता नहीं चल पाया है। घटनास्थल पर पहुंची ममता अपने बेटे को याद कर के फूट-फूट कर रोने लगी। उन्होंने कहा, ''मेरा बेटा राखी बंधवाने आया था। वापस जाने के दौरान डूबने से उसकी मौत हो गई।'' फूलक की रहने वाली ममता ने बताया, ''उनकी देवरानी और बेटी राखी बांधने जा रहे थे। बेटी की डूबने से मौत से हो गई। देवरानी तैरकर बाहर निकल आई।'' नदी के किनारे बैठी जवेत्री बिलख रही हैं। उनका पति झल्लू रक्षाबंधन मनाने के लिए दो दिन पहले गुजरात से आया था। वह भी लापता है।
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