नई दिल्ली. न्यूयॉर्क में हुए जानलेवा हमला के बाद पिछले 12 घंटे से भारतीय मूल के ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक सलमान रुश्दी वेंटीलेटर पर हैं। उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है। रुश्दी के एजेंट एंड्रू यील ने बताया कि वे बिल्कुल बोल नहीं पा रहे हैं। एक आंख खो सकते हैं। उनके लीवर में भी गंभीर चोट लगी है। साथ ही हाथों की नसें भी कट गई हैं। शुक्रवार को रुश्दी पर एक लाइव प्रोग्राम के दौरान 24 साल के हादी मातर ने अटैक किया था। मातर ने उनके गले पर चाकू से 10-15 पर बार हमला किया, जिसके बाद रुश्दी को एयर लिफ्ट करके एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल के एक डॉक्टर ने अमेरिकी मीडिया को बताया कि रुश्दी के गले और पेट पर चाकू के कई घाव थे। अभी उनकी सर्जरी की गई है। 33 साल पहले ईरान के धार्मिक नेता ने जारी किया था फतवा सलमान मुस्लिम परम्पराओं पर लिखे उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेस’ को लेकर विवादों में रहे। ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्ला खोमैनी ने 1989 में उनके खिलाफ फतवा जारी किया था। हमले को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, ईरान के एक डिप्लोमैट ने कहा- हमारा इस हमले से कोई लेना-देना नहीं है। रुश्दी का जन्म 19 जून 1947 को मुंबई में हुआ था। 75 साल के सलमान रुश्दी ने अपनी किताबों से पहचान बनाई। अपने दूसरे ही उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रन’ के लिए 1981 में ‘बुकर प्राइज’ और 1983 में ‘बेस्ट ऑफ द बुकर्स’ पुरस्कार से सम्मानित किए गए। रुश्दी ने लेखक के तौर पर शुरुआत 1975 में अपने पहले उपन्यास ‘ग्राइमस’ (Grimus) के साथ की थी। रुश्दी को पहचान उनके दूसरे उपन्यास ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ से मिली। उन्होंने कई किताबें लिखीं। इनमें द जैगुआर स्माइल, द मूर्स लास्ट साई, द ग्राउंड बिनीथ हर फीट और शालीमार द क्लाउन शामिल हैं। सबसे ज्यादा ‘द सैटेनिक वर्सेस’ को लेकर चर्चा में रहे।
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