ग्वालियर. गुना की आरोन तहसील निवासी एक किसान अपनी 17 साल की बेटी कंचन (बदला हुआ नाम) के साथ रहता था। 30 जुलाई 2017 की सुबह 11 बजे राशन दुकान पर मिट्टी का तेल लेने गई थी, फिर लौटी ही नहीं। काफी देर तक जब वह वापस नहीं आई तो पिता उसे तलाशने के लिए निकला। पिता को कंट्रोल की दुकान बंद मिली। आसपास वालों से पूछा, लेकिन पता कुछ नहीं चला। गांव भर के तीन चक्कर लगाए, लेकिन कहीं कोई खबर नहीं मिली। दूसरे दिन थाने पहुंचा तो पुलिस ने सुनवाई न करते हुए भगा दिया। यहां पुलिस ने इस मामले में पहली चूक की थी। 3 अगस्त को पिता सुबह से रात 8 बजे तक थाने में बैठा रहा, तब जाकर पुलिस ने उससे आवेदन लिया। पुलिस ने FIR 9 अगस्त को दर्ज की। हालांकि, लड़की को ढूंढने के प्रयास नहीं किए गए। बाद में दो संदिग्ध लोग पकड़े, जिनको साक्ष्य के अभाव में छोड़ दिया गया। इस मामले में पता चला है कि एक ने कहा कि उसने नाबालिग के साथ रेप के बाद मर्डर कर तालाब में फेंक दिया था। इसके बाद जांच के लिए SIT भी बनाई गई, लेकिन लड़की का पता नहीं चल सका। पांच साल से अपने इकलौता सहारा 17 वर्षीय बेटी के लिए भटक रहे पिता के हर शब्द में दर्द झलकता है। पिता कहता है कि जब तक तत्कालीन TI अभय प्रताप सिंह से पूछताछ नहीं होगी बेटी शायद न मिल पाए। एक बाप ने बताया कि कितनी मन्नतों के बाद भगवान ने उनकी झोली में यह बेटी दी थी। 6 बच्चे गर्भ में ही खत्म हो गए थे। लाख जतन किए थे तब जाकर लाड़ों का जन्म दिया था। वो भी 7 महीने में जन्म होने से वह काफी कमजोर थी। उसकी देखभाल के लिए 10 महीने तक दिन रात सेवा में लगे रहे। इसके लिए उन्हें अपनी जमीन बेचनी पड़ी थी। बीते पांच साल से हर दूसरे दिन पिता अपनी बेटी की तलाश में थाने पहुंचता है, लेकिन पुलिस उसे भगा देती है। अब पिता का कहना है कि वह मरे के समान है। बेटी आ जाएगी तो शायद वो जी जाएगा।
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