लखनऊ. लखनऊ के PUBG हत्याकांड की चश्मदीद 10 साल की मासूम बेटी ने 12 दिन बाद जुबान खोली है। उसने कहा- "मैंने भाई को गोली चलाते हुए नहीं देखा। सिर्फ एक आवाज सुनी थी। मम्मी बेड पर लेटी थीं। खून फैला था। भाई मेरा चेहरा दूसरी तरफ करके बगल के कमरे में ले गया। मुझे वहीं छोड़कर वो स्कूटी लेकर बाहर चला गया। कुछ देर वहीं बैठी रही। फिर मम्मी के कमरे तक गई। दरवाजा खोला तो मम्मी बेड पर छटपटा रही थी। मैं पास गई और उन्हें छुआ। गले लगने ही वाली थी कि भाई आ गया। कुछ समझ नहीं पा रही थी। भागकर बगल के कमरे में आ गई।" क्या उस रात घर में कोई और मौजूद था? इस सवाल पर बेटी ने सिर्फ नहीं में सिर हिलाया। वो बोली "दूसरे दिन शाम को बदबू आने लगी। मैंने भैया से कहा बदबू आ रही है। उन्होंने पूरे घर में रूम फ्रेशनर डाल दिया। फिर अगले दिन बदबू ज्यादा हो गई। तब भाई ने कहा बगल के गड्ढे में कोई जानवर मर गया है।" 4 जून की रात साधना सिंह की हत्या होती है। घर में उनके अलावा सिर्फ 16 साल का बेटा और एक 10 साल की बेटी ही मौजूद थे। बेटी ने कहा "बगल के बेडरुम में ही रहती थी। भाई ने मम्मी के कमरे की चाबी मेरे पास ही छोड़ दी थी। उस रात उनके कमरे में गई तो मां बेड पर पीठ के बल ठीक वैसे ही पड़ी थीं। जैसा सोने से पहले आखिरी बार उन्हें देखा था। सिर से खून बहकर फर्श तक फैल रहा था। उनके दोनों हाथ जोर से हिल रहे थे। पैर भी कभी-कभी इधर-उधर हो रहे थे। बहुत डर लग रहा था।" भाई के वापस आते ही बस इतना बोल पाई "भइया मम्मी..." उन्होंने चुप रहने का इशारा किया। बोले " सब ठीक हो जाएगा... थोड़े दिनों में। मैं हूं, तू डर मत। कमरे से बाहर मत जाना बस। मम्मी का कमरा नहीं खोलना। पापा आएंगे, तब देखा जाएगा। तब तक मैं कुछ करता हूं। " 7 जून तक उस घर में रहने के बाद बाहर निकली बेटी अब एक रिश्तेदार के घर पर है। वहां लोग उससे जानने का प्रयास कर रहे हैं कि आखिर उस रात हुआ क्या था। हालांकि, उसने अब तक सिर्फ इतना बताया कि भाई को गोली चलाते नहीं देखा था। कोई आवाज हुई, जिसे सुनकर उठ पड़ी थी। तब भाई ने मम्मी की तरफ देखने नहीं दिया। इसके आगे वो सब कुछ वही बता रही है। जो भाई ने पुलिस के सामने बोला था। बेटी ने कहा "नहीं पता था कि मम्मी मर चुकी है।"
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