जयपुर. जयपुर डेयरी में दूध को लेकर राजनीति उफान पर है। गहलोत सरकार की राजस्थान कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति के तहत जयपुर-दौसा में जो बल्क मिल्क कूलर (BMC) जयपुर डेयरी प्रशासन ने लगवाए है उन BMC के संचालन को जयपुर डेयरी चैयरमेन ओम पूनिया ने रूकवा दिया। इतना ही नहीं चेयरमैन ने इस नीति के तहत स्वीकृत की गई अन्य BMC को भी लगने नहीं दिया, जबकि सरकार ने इन BMC के लिए बकायदा लोन मंजूर करवाते हुए किसानों को सब्सिडी भी देना शुरू कर दिया। इस पूरे मामले पर दुग्ध समितियों ने डेयरी मंत्री प्रमोद जैन भाया को पत्र देकर शिकायत की है। दरअसल जयपुर डेयरी प्रशासन ने पंजीकृत दुग्ध संकलन समितियों से राजस्थान कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति के तहत BMC लगाने का प्रस्ताव मांगा। फरवरी 2021 में डेयरी एमडी ने इसके लिए समितियों के अध्यक्षों और सचिवों को पत्र लिखकर BMC लगाने के लिए लोन के दस्तावेज भिजवाने के लिए कहा। योजना के तहत कृषि विपणन बोर्ड ने एक प्रस्ताव तैयार किया था, कि उन्हीं समितियों के BMC लगेगी, जिनके यहां 300 लीटर दूध रोजाना आता हो और जिन समितियों के बचत खाते में 3.50 लाख रुपए से ज्यादा की राशि जमा हो। ऐसी समितियों के यहां BMC लगाने पर सरकार 50 फीसदी की सब्सिडी देगी, जबकि शेष 50 फीसदी पैसा बैंक से लोन के जरिए समितियां को दिलाया जाएगा, जिसकी किश्त समितियां भरेगी। समितियों से लोन डॉक्यूमेंट लेकर डेयरी प्रशासन ने सभी समितियों के खातों से सिक्योरिटी राशि एसबीआई के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी। इसके बाद एसबीआई ने लोन मंजूर करते हुए लोन राशि BMC लगाने वाली कंपनी IDCM के खाते में ट्रांसफर कर दी। 190 समितियों के लिए लोन स्वीकृत होने के बाद कंपनी ने 95 समितियों के यहां BMC लगा भी दी, लेकिन अक्टूबर 2021 में डेयरी संघ के चुनाव जीतकर आए चेयरमेन ओम पूनिया ने इस पूरी प्रक्रिया को रूकवा दिया। उन्होंने जयपुर डेयरी एमडी, एसबीआई के जीएम और IDMC कंपनी को पत्र लिखकर अवैध तरीके से BMC नहीं लगाने की बात कही।
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