जयपुर. सरकारी अस्पतालों में अब सिर्फ जनाधार कार्ड से मुफ्त इलाज मिल सकेगा। फिलहाल, अभी तक आधार और जनाधार कार्ड दोनों मान्य था। सरकार ने दो महत्वाकांक्षी योजनाओं के लाभार्थियों के समन्वय के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। हालांकि, शुरुआती फेज में मरीजों की दिक्कतों को देखते हुए आदेश के क्रियान्वयन में कुछ शिथिलता दी गई है, लेकिन जून के अंतिम सप्ताह से सभी सरकारी अस्पतालों में जनाधार कार्ड पर ही मरीजों को फ्री ट्रीटमेंट मिलेगा। सीएम अशाेक गहलोत ने पिछले बजट में यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज स्कीम की घोषणा की थी। बजट में योजना का दायरा 10 लाख रुपए बढ़ाने के साथ ही अस्पतालों में ओपीडी-आईपीडी सेवाएं निशुल्क कर दीं। अब दोनों योजनाओं के क्रियान्वयन की शुरुआत हुई तो सामने आया कि एक योजना के लाभार्थी दूसरी योजना में शामिल हो रहे हैं। इससे सरकार को दोहरा नुकसान हो रहा है। इसे रोकने के लिए ही जनाधार कार्ड अनिवार्य किया गया है। शुरुआत में किसी मरीज के पास जनाधार कार्ड नहीं है ताे राजस्थान निवासी मरीज के परिजनों काे दस्तावेजों के साथ अस्पताल अधीक्षक के सामने पेश होकर शपथ पत्र देना हाेगा। दस्तावेज की जांच के बाद ही नि:शुल्क इलाज की स्वीकृति मिल सकेगी। दूसरी तरफ जिला प्रशासन काे भी जनाधार बनाने के लिए मरीज द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज भेजे जाएंगे। दूसरी बार आने पर बिन जनाधार के नि:शुल्क इलाज नहीं मिलेगा। गौरतलब है कि एसएमएस में हर दिन करीब आठ हजार से 10 हजार मरीजों की ओपीडी है। इनमें से काफी संख्या दूसरे राज्यों से आए मरीजों की होती है। सरकार को इनका खर्च वहन नहीं करना पड़े इसलिए जनाधार अनिवार्य किया गया है।
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