नई दिल्ली. गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में । 4 महीने में चौथी बार इमरजेंसी लगा दी गई है। कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने आपातकाल की स्थिति की घोषिणा की। उन्होंने देश के हालात को देखते हुए ये कदम उठाया है। कंगाल हो चुके श्रीलंका में पहली बार राजपक्षे सरकार ने 1 अप्रैल को आपातकाल लगाया था। 5 अप्रैल को आपातकाल हटा दिया गया था। 6 मई को 20 मई तक दोबारा आपातकाल भी लगाया गया। 13 जुलाई 2022 को तीसरी बार इमरजेंसी घोषित की गई। 225 सदस्यीय संसद में 20 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। रानिल विक्रमसिंघे, साजिथ प्रेमदासा, अनुरा कुमारा दिसानायके और दुलास अल्हाप्परुमा ने नॉमिनेशन भरा है। 44 साल बाद सीक्रेट वोटिंग के जरिए राष्ट्रपति चुना जाएगा। बता दें कि 1978 के बाद पहली बार देश में जनादेश के माध्यम से नहीं, बल्कि राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों के सीक्रेट वोट के माध्यम से होगा। आर्थिक संकट से गुजर रहे हालातों को देखते हुए और जन विद्रोह को रोकने के लिए यह निर्णय लिया गया है। 1948 में आजादी के बाद से श्रीलंका सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। यहां विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है। देश जरूरी चीजों का आयात नहीं कर पा रहा है। रोजमर्रा की जरूरत के सामानों के दाम आसमान पर हैं, खाने-पीने के सामान का संकट और ईंधन भी आसानी से नहीं मिल रहा। इन सबके चलते श्रीलंका के आम लोग सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। हाल ही में वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने बताया कि श्रीलंका में 60 लाख लोगों पर खाद्य संकट मंडरा रहा है। देश में फॉरेन करेंसी की भारी किल्लत की वजह से सरकार विदेशों से जरूरी इंपोर्ट भी नहीं कर पा रही है। ईधन की इतनी ज्यादा किल्लत है कि लोगों को पेट्रोल-डीजल भरवाने के लिए दो दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है।
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