जयपुर. BJP के वरिष्ठ नेता और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा- सरकार को PFI पर बैन लगा देना चाहिए। गहलोत सरकार PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) संगठन पर बैन नहीं कर सकती। क्योंकि उसने रेड कारपेट बिछाया है। पूरे देश में कोटा में पहली हिजाब रैली की अनुमति जिस सरकार ने दी हो। जिस सरकार के रहनुमा पीएफआई प्रदेश अध्यक्ष से बात करते हों। उसके धमकी भरे पत्र में ‘रामनवमी का जुलूस निकलेगा, तो साम्प्रदायिक सदभाव बिगड़ेगा’ कहने पर भी उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते। वो निश्चित तौर पर तुष्टिकरण की भावना से अपने वोट बैंक को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। राठौड़ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के केंद्र की एजेंसियों पर वर्ग विभेद पैदा करने और NIA की जांच पर सवाल उठाने पर कहा-गृहमंत्री के रूप में CM गहलोत का अक्षम चेहरा सामने आ गया है। इसलिए खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंच रही है। राठौड़ ने कहा- जब मौका आएगा और सदन चलेगा, तो तथ्यों के आधार पर सरकार को बताएंगे कि सरकार ने PFI पर बैन किन कारणों से नहीं किया। क्या बीजेपी केंद्र सरकार से पीएफआई पर बैन लगाने की मांग करेगी। सवाल पर राठौड़ ने जवाब दिया- क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का सब्जेक्ट है। प्रदेश सरकार अगर यहां से सहमति देती है। सिफारिश करती है तो केन्द्र सरकार उसे निश्चित तौर पर बैन करे। मेरी खुद की व्यक्तिगत तौर पर मांग है कि पीएफआई जैसे संगठनों पर पाबंदी लगनी चाहिए। राठौड़ ने कहा- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बेबुनियाद बयान देने के नाम पर देश-प्रदेश में प्रसिद्ध हो रहे हैं। केन्द्र की तमाम एजेंसियों को यह कह देना कि उनका काम वर्ग भेद पैदा करने का है। इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं हो सकता। अपने शासन काल में CBI की तारीफ जब केन्द्र में कांग्रेस थी, इन्होंने बहुत की। जिस तरह राजस्थान में आतंकवादी संगठनों ने पैर पसार रखे हैं। उन सारी बातों के रहस्य से NIA ने पर्दा हटा दिया। राजस्थान पुलिस की इंटेलीजेंस पूरी तरह नाकाम साबित हो गई। गृहमंत्री के रूप में CM का प्रशासनिक अक्षम के तौर पर चेहरा आ गया। तो खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे, इस आधार पर कांग्रेस के संगठन के मुखिया का यह बयान ना केवल निन्दनीय है। बल्कि NIA जिस ओर आगे बढ़ती जा रही है। आतंकवादी, सिमी, PFI और इनसे जुड़े हुए संगठनों के किरदारों के चेहरों से नकाब खींच रही है। उनका उत्साह गिराने और मनोबल तोड़ने वाला उनका बयान है। मैं इसकी निन्दा करता हूँ।
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