जयपुर. कांग्रेस विधायकों की मंत्रियों से नाराजगी अब खुलकर सामने आने लगी है। ब्यूरोक्रेसी के साथ ही मंत्रियों के कामकाज को लेकर कांग्रेस विधायक नाराज हैं। जनता से जुड़े विभागों में काम करने के तौर तरीकों पर विधायकों ने नाराजगी जताई है। सरकार की स्कीम के साथ तबादलों को लेकर भी नाराजगी के सुर उठ रहे हैं। करीब 40 से ज्यादा विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर मंत्रियों की शिकायत की है। सबसे ज्यादा शिकायतें मंत्रियों के जनता के काम नहीं करने, कामों को लटकाकर रखने और विधायकों को रिस्पॉन्स नहीं देने की है। 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग वाले दिन बड़ी संख्या में विधायकों ने मुख्यमंत्री से मिलकर मंत्रियों की शिकायतें की हैं। इससे पहले भी डे-टू-डे मुलाकातों में विधायक शिकायत कर रहे हैं। विकास के कामों की सुस्त स्पीड के साथ तबादलों को लेकर भी कई विधायक नाराज हैं। शिक्षा, हेल्थ, UDH, PWD जैसे विभागों में काम की रफ्तार और प्रोजेक्ट्स का काम शुरू नहीं होने पर विधायकों ने नाराजगी जताई है। इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स में देरी पर विधायक खुलकर नाराजगी जता रहे हैं। विधायकों ने शिकायत करते हुए यहां तक फीडबैक दिया है कि इससे सरकार का नरेटिव बिगड़ रहा है। सबको चुनाव में जाना है। इससे पहले जिन कामों की घोषणा हुई है। उन्हें पूरा करना जरूरी है, लेकिन रफ्तार बहुत धीमी है। मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, विधायक वाजिब अली, खिलाड़ीलाल बैरवा सहित कई विधायकों ने तो मंत्रियों के खिलाफ खुले तौर पर बयान दिए हैं। विधानसभा चुनाव में अब डेढ़ साल से भी कम का वक्त बचा है, लेकिन काम करने के लिए 11 महीने का ही वक्त बचा है। विधायकों का तर्क है कि बजट से पहले जितनी स्पीड से काम मंजूर होकर धरातल पर उतर जाएं उन्हीं का राजनीतिक तौर पर फायदा है। आखिरी साल की घोषणाओं का वोटों के हिसाब से कोई फायदा नहीं मिलता।
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