जम्मू: जम्मू-कश्मीर में नए वोटरों के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद से ही सियासी बवाल शुरू हो गया है. जम्मू-कश्मीर में नए वोटरों के लिए जिला चुनाव कार्यालय की ओर से अधिसूचना जारी की गई है, जिसके मुताबिक, जम्मू जिले में जो भी शख्स एक साल से अधिक समय से रह रहा है, वह अपना नाम वोटर लिस्ट में डलवा सकता है. अधिसूचना में कहा गया है कि नए वोटर बनाने के लिए जरूरी कागजात मसलन पिछले एक साल का गैस, बिजली और पानी कनेक्शन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक और जमीन के कागजात से अपना नाम पंजीकृत करवाया जा सकता है. हालांकि, गैर स्थानीय लोगों को मतदान के अधिकार के लिए मात्र एक साल का मापदंड फिक्स करने के फैसले पर सियासत भी शुरू हो गई है. भाजपा के कविंदर गुप्ता ने कहा कि विपक्षी दलों ने इस पर बहुत बयान दिया है कि बीजेपी बाहर के लोगों को जोड़ना चाहती है. यह बाहरी लोगों के बारे में नहीं है. जो कानून पूरे भारत के लिए है, वही जम्मू-कश्मीर के लिए भी है. केंद्र सरकार की ओर से किसी व्यक्ति या सुरक्षा बल को राज्य सरकार के पास भेजा जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं है. उन्होंने कहा कि विपक्ष को याद रखना चाहिए कि अब यहां आर्टिकल 370 मौजूद नहीं है. बीजेपी पहले भी जीत चुकी है, वोटों में थोड़ी बढ़ोतरी ज्यादा मायने नहीं रखेगी. विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है और खराब माहौल बनाना चाहता है. वहीं, कांग्रेस के रविंदर शर्मा ने कहा कि जब कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारियों ने कहा था कि 25 लाख वोटर्स मतदाता सूची में शामिल होंगे, तभी हमें भाजपा की मंशा समझ में आई थी. बीजेपी को जम्मू-कश्मीर में विश्वास नहीं है और इसलिए वे यहां आने वाले लोगों को वोटर बना रहे हैं, प्रशासन बीजेपी के नियंत्रण में है. उन्होंने कहा कि मंशा साफ है कि कश्मीर जाने वाले बाहरी लोगों को मतदाता सूची में शामिल किया जा सकता है.
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