नई दिल्ली. हिजाब पर बैन सही है या गलत, इस पर फैसला अब CJI यूयू ललित करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जब गुरुवार को फैसला सुनाया तो दो जजों की बेंच की इस मामले पर राय अलग-अलग थी। 10 दिनों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 26 याचिकाएं दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को देखे बिना हिजाब बैन पर फैसला सुना दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन, दुष्यंत दवे, संजय हेगड़े और कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा तो सरकार की ओर से सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए। 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है। इसे संविधान के आर्टिकल 25 के तहत संरक्षण देने की जरूरत नहीं है। कर्नाटक में हिजाब विवाद जनवरी के शुरुआत में उडुपी के ही एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था। स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था। इसके बाद दूसरे शहरों में भी यह विवाद फैल गया। मुस्लिम लड़कियां इसका विरोध कर रही हैं, जिसके खिलाफ हिंदू संगठनों से जुड़े युवकों ने भी भगवा शॉल पहनकर जवाबी विरोध शुरू कर दिया था। एक कॉलेज में यह विरोध हिंसक झड़प में बदल गया था, जहां पुलिस को सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए टियर गैस छोड़नी पड़ी थी।
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