नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई जारी रखी. शीर्ष अदालत में कार्यवाही तब से चल रही है जब से कर्नाटक HC ने अपने हिजाब आदेश के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध के बाद अपना फैसला दिया. मंगलवार को सुनवाई के दौरान प्रतिवादी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कर्नाटक सरकार के उस आदेश को प्रस्तुत किया जिसमें सिफारिश की गई थी कि सभी छात्र निर्धारित वर्दी पहनेंगे. तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा था. उन्होंने कहा कि पीएफआई ने हिजाब पहनने के लिए भड़काया है. उन्होंने सरकार के सर्कुलर को भी उद्धृत किया, जिसमें लिखा था, 'यदि कोई वर्दी निर्धारित नहीं है, तो छात्रों को ऐसी पोशाक पहननी चाहिए जो समानता, भारत की एकता और कानून और व्यवस्था के विचार के साथ हो.' सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'मैं अतिशयोक्ति नहीं कर रहा हूं, अगर सरकार ने उस तरह से काम नहीं किया होता तो सरकार संवैधानिक कर्तव्य की अवहेलना की दोषी होती.' घटनाओं के क्रम का वर्णन करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज ने 29 मार्च, 2013 को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें लड़कियों के लिए एक वर्दी निर्धारित की गई थी जिसमें हिजाब शामिल नहीं था. उन्होंने कहा कि कोई भी कई वर्षों से हिजाब या भगवा शॉल पहनने पर जोर नहीं दे रहा था. एक दिन पहले वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष बताया था कि इस्लामिक दुनिया में 10,000 से अधिक आत्मघाती बम विस्फोट हुए हैं और इस देश को केवल पुलवामा में एक आत्मघाती बम विस्फोट का सामना करना पड़ा, जो देश में अल्पसंख्यक समुदायों के विश्वास को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि धर्म जनता का मार्गदर्शन करने के लिए एक बहुत ही कठिन मानसिक ढांचा है और यह नेता ही हैं जो उनका मार्गदर्शन कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट की बेंच कल कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
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