नई दिल्ली. ईरान में 16 सितंबर को शुरू हुए हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं। इनमें सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि पुरुष भी शामिल है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं। आंदोलन कर रहे लोगों पर पुलिस ने फायरिंग की, पैलेट गन यानी छर्रों वाली बंदूक का भी इस्तेमाल किया। 5 दिन में मरने वालों की तादाद 9 हो गई है। सैकड़ों लोग घायल हैं। माशा के पिता अमजद अमिनी ने BBC से बातचीत में कहा- पुलिस और सरकार सिर्फ झूठ बोल रही है। मैं बेटी की जान बख्शने के लिए उनके सामने गिड़गिड़ाता रहा। जब मैंने उसका शव देखा तो वो पूरी तरह कवर था। सिर्फ चेहरा और पैर नजर आए। पैरों पर भी चोट के निशान थे। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने बुधवार को UNGA में स्पीच दी। 2 साल पहले अमेरिकी ड्रोन अटैक में मारे गए जनरल सुलेमानी का जिक्र किया, फोटो भी दिखाया। हैरानी की बात यह है कि देश में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शनों में मारे गए लोगों पर एक शब्द भी नहीं कहा। ईरान की महिलाएं हिजाब निकालकर प्रदर्शन कर रही हैं। विरोध से सहमी सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया है। आंदोलन में भाग लेने वाली महिलाओं में ज्यादातर स्कूल-कॉलेज की स्टूडेंट्स हैं। यह सड़कों पर सरकार को खुली चुनौती दे रही हैं। तेहरान समेत 15 शहरों में धर्मगुरु अयातुल्ला खामेनेई के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 1 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके बावजूद देश के हर बड़े शहर में मॉरल पुलिसिंग और हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं।
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