जयपुर. राजस्थान में आरक्षण को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को जयपुर के शहीद स्मारक पर प्रदेशभर के पूर्व सैनिकों ने आरक्षण वर्गीकरण के खिलाफ धरना दिया। उन्होंने कहा कि 1988 से पूर्व सैनिकों के लिए बिना जातिगत आधार के आरक्षण की व्यवस्था लागू थी। लेकिन राजस्थान सरकार ने OBC वर्ग को वजह से इसमें बदलाव कर दिया है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में सरकार ने जल्द से जल्द आरक्षण नियमों में बदलाव कर पहले की तरह पूर्व सैनिकों के लिए 12.5% कोटा नहीं रखा। तो पूर्व सैनिक अपने हक के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। पूर्व सूबेदार दिनेश ने बताया की सैनिकों का कहना था कि पूर्व में जो कोटा था। उसे अब बदलकर सरकार सैनिक को अलग-अलग जातियों में बांटकर आरक्षण देने का प्रावधान कर रही है। जो पूरी तरह गलत है। सेना की कोई जाति नहीं होती है। एक सैनिक के लिए सभी बराबर है। एक और राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकल रहे है। वहीं राजस्थान की सरकार जातियों के नाम पर प्रदेश को बात रही है। ऐसे में आरक्षण नियमों में हुए बदलाव के खिलाफ हम हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ेंगे। लेकिन सरकार के इस तुगलकी फरमान को नहीं मानेंगे। एयरफोर्स से रिटायर्ड संदीप चौधरी ने कहा कि कैबिनेट मीटिंग में निर्णय लिया गया कि भूतपूर्व सैनिकों को आरक्षण अब वर्गवार दिया जाएगा। जो कि भूतपूर्व सैनिकों के हितों के खिलाफ ही नहीं बल्कि राज्य सरकार के राजस्थान सिविल सेवा नियम 1988 एवं राज्य सरकार के 17 अप्रैल 2018 के पत्रों के विरूद्ध भी है। इसलिए हमारी मांग है कि भूतपूर्व सैनिकों की गणना टोटल पदों में से की जाए और सिंगल मेरिट बनाई जाए। दरअसल, ओबीसी कोटे में पूर्व सैनिकों के आरक्षण के पैटर्न पर हुए विवाद के बाद 25 नवंबर को सीएम अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राजस्थान सिविल सेवा (भूतपूर्व सैनिकों का आमेलन) नियम, 1988 में संशोधन को मंजूरी दी थी। जिसके आधार पर राज्य की भर्तियों में भपूर्व सैनिकों को हॉरिजॉन्टल कैटेगरीवाइज आरक्षण मिलेगा। वहीं इस संशोधन से एससी, एसटी के पूर्व सैनिकों को भी सीधी भर्तियों में आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व मिलेगा। जबकि ओबीसी के लिए आरक्षित पदों में से पिछड़ा वर्ग के गैर सामान्य को भी पूरा कोटा मिल सकेगा। राजस्थान में भर्ती नियमों में पूर्व सैनिकों को राज्य सरकार की नौकरियों में भर्ती के लिए उनकी वर्गवार कैटेगरी में से आरक्षण मिलता आ रहा था। इस व्यवस्था से पूर्व सैनिकों के अपनी कैटेगरी में समायोजित होने के कारण एससी, एसटी के पूर्व सैनिकों का चयन कम हो पा रहा है। इसके साथ ही पूर्व सैनिकों के लिए तय आरक्षण के बाद चयनित कैंडिडेट्स के अपने वर्ग में समायोजित हो जाने के कारण कुछ भर्तियों में ओबीसी वर्ग के कैंडिडेट्स के लिए पद नहीं बच रहे थे। जिससे OBC वर्ग के युवाओं ने आंदोलन शुरू कर दिया था। वहीं अब नियमों में संधोशन के बाद पूर्व सैनिकों ने सरकार के खिलाफ मोर्च खोल दिया है।
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