भोपाल. मध्यप्रदेश में अगले साल चुनाव होने हैं। सियासी बयानबाजी के साथ कानूनी पेंच में उलझे विधायकों की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। सोमवार को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अशोकनगर से BJP विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। विधायक जज्जी पर 50 हजार का जुर्माना लगाने के साथ ही सदस्यता निरस्त करने के लिए कहा गया है। जज्जी के अलावा दो विधायक और हैं, जिनकी सदस्यता पर संकट है। तीनों विधायकों में दो भाजपा, तो एक कांग्रेस का है। अजब सिंह कुशवाह- ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा के विधायक ऐदल सिंह कंसाना के बीजेपी में शामिल होने के बाद नवंबर 2020 में उपचुनाव हुआ था। इस उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार अजब सिंह कुशवाह बीजेपी के ऐदल सिंह कंसाना को हराकर विधायक बने थे। विधायक बनने के बाद अजब सिंह कुशवाह कानूनी मुश्किलों में घिर गए। विधायक अजब सिंह पर सरकारी जमीन बेचने के आरोप लगे इस मामले की ग्वालियर के महाराजपुरा थाने में शिकायत भी दर्ज हुई। शिकायत में ये दावा किया गया कि विधायक ने सरकारी जमीन को अपना बताते हुए लगभग 75 लाख में बेच दिया था। मामले में पुरुषोत्तम शाक्य नामक व्यक्ति ने ग्वालियर के महाराजपुरा में शिकायत दर्ज कराई थी और कहा था कि विधायक अजब सिंह ने यह जमीन उन्हें बेची, मगर कब्जा नहीं मिला। इस पर पुलिस ने मामला भी दर्ज कर लिया था। बताया गया है कि इस मामले पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर के न्यायालय ने विधायक अजब सिंह सहित अन्य लोगों को दो-दो साल की सजा सुनाई है और 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया है। इस फैसले के बाद कांग्रेस विधायक की सदस्यता पर संकट मंडराने लगा है। नियमानुसार अगर किसी विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा हो जाती है तो उसकी विधानसभा से सदस्यता तो जाएगी ही साथ में वह छह साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य रहेगा। उमा भारती के बडे़ भाई हरबल सिंह लोधी के छोटे बेटे राहुल सिंह लोधी टीकमगढ़ जिले की खरगापुर विधानसभा से 2018 में पहली बार विधायक बने। विधानसभा चुनाव के बाद राहुल लोधी से चुनाव हारने वाली कांग्रेस प्रत्याशी चंदा रानी गौर ने राहुल लोधी द्वारा निर्वाचन पत्रों में जानकारी छिपाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। याचिका पर सुनवाई के बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने राहुल लोधी का निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया। फिलहाल राहुल लोधी इस मामले की अपील करने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। हालांकि इसी मामले को लेकर चंदा रानी गौर ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की है। यदि सुप्रीम कोर्ट से लोधी को स्टे नहीं मिला तो उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो सकती है।
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