सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में बिलकिस ने मई में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। इसमें कोर्ट ने कहा था कि गुजरात सरकार के पास 11 दोषियों के क्षमा आवेदनों पर निर्णय लेने का अधिकार है, भले ही ट्रायल महाराष्ट्र में हुए हो। इस साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने 2002 में बिलकिस के साथ गैंगरेप और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया था। बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी। वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है? रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का बयान सामने आया है। उन्होंने ट्वीट किया- सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की अर्जी खारिज कर दी। बिलकिस बानो का 21 साल की उम्र में गैंगरेप किया गया, उसके 3 साल के बेटे और परिवार के 6 सदस्यों का कत्ल कर दिया गया, पर गुजरात सरकार ने उसके सभी रेपिस्ट को आजाद कर दिया। अगर सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं मिलेगा, तो कहां जाएंगे?
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