नई दिल्ली. समंदर में होनेवाले अपराधों से निपटने के लिए पहली बार भारत में कानून होगा. लोकसभा से एंटी मैरिटाइम पायरेसी बिल पारित हो गया है और राज्यसभा से पारित होने के बाद ये कानून की शक्ल लेगा. इससे समंदर में होनेवाले अपराधियों से निपटने में मदद के अलावा और समंदर की सुरक्षा में भी बढ़ोतरी होगी. इस बिल के कानून बन जाने से भारत के व्यापार मार्ग समेत भारत की समुद्री सुरक्षा में इजाफा होगा. दरअसल भारत के पास समंदर में चोरी और डकैती को लेकर कोई कानून में प्रावधान नहीं है और इस बिल के कानून में तब्दील होने से भारत की समुद्री सुरक्षा में बेहतरी होगी. मौजूदा कानून UNCLOS यानी यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी के तर्ज पर होगा. लोकसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि भारत के पास अभी समंदर में चोरी के खिलाफ कोई कानून नहीं यानी IPC और सीआरपीसी में कोई प्रावधान नहीं है. इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार कानून बनाया गया है ताकि भारत की तटीय सीमाओं से 200 नॉटिकल मील तक अगर डकैती और चोरी की घटनाएं होती है तो ये कानून लागू होगा. यानी नए कानून का क्षेत्राधिकार भारत के एक्सक्लूसिव इकोनोमिक जोन के दायरे से अधिक है. दरअसल स्टैंडिंग कमेटी की 18 सिफारिशों में से लगभग सभी सिफारिशों को सरकार ने मान लिया है. बिल के कानून बनने के बाद भारत की सीमा से 200 नॉटिकल मील में किसी तरह की चोरी डकैती होती है तो अपराध की गंभीरता के हिसाब से मृत्युदंड से लेकर कारावास तक की सजा का प्रावधान है. इस बिल के प्रावधान के तहत समंदर में हिंसा से जुड़े किसी भी कार्रवाई को शामिल किया गया है.
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