देश के अन्नदाता और सेना को नमन करते हुए देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया.
आज 11 जनवरी को उन्हीं लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि है. छोटी कद काठी के शास्त्री जी बुलंद फैसलों के लिए जाने जाते हैं. महात्मा गांधी के साथ लाल बहादुर शास्त्री को देश नमन कर रहा है. लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को हुआ था.
नौ जून, वर्ष 1964 को लाल बहादुर शास्त्री देश दूसरे प्रधानमंत्री बने. प्रधानमंत्री के रूप में शास्त्री जी का कार्यकाल ऐसा नहीं है कि एक बहुत लंबा सफर रहा हो, किंतु अपने अल्प कार्यकाल में वे जो कुछ भी कर गए हैं, इतिहास के पन्नों में दर्ज है और नया इतिहास बनने के बाद भी आज भी लिखे पन्नों में उन्हें श्रद्धा से याद किया जाता है.
9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग 18 महीने भारत के प्रधानमंत्री रहे. इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा है। शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की और उसके बाद वे पूरे देश में प्यार से शास्त्री जी के नाम से ही पुकारे जाने लगे. वैसे देखा जाए तो उनके जीवन और अपने राष्ट्र को सर्वस्व समर्पित कर देने के अनेक पहलु हैं, किंतु आज हम आपको यहां कुछ विशेष बिन्दुओं को लेकर बात करेंगे
महात्मा गांधी के सच्चे अनुयायी शास्त्री जी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व आन्दोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाते रहे और उसके परिणामस्वरूप उन्हें कई बार जेलों में भी रहना पड़ा। स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च तथा 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन उल्लेखनीय हैं.
बाद के दिनों में “मरो नहीं, मारो” का नारा लाल बहादुर शास्त्री ने दिया, जिसने एक क्रान्ति को पूरे देश में प्रचण्ड किया। उनका दिया हुआ एक और नारा ‘जय जवान-जय किसान’ तो आज भी लोगों की जुबान पर है. यह नारा देकर उन्होंने न सिर्फ देश की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात जवानों का मनोबल बढ़ाया बल्कि खेतों में अनाज पैदा कर देशवासियों का पेट भरने वाले किसानों का आत्मबल भी तात्कालीन समय में बढ़ाया था.
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