ब्रज मंडल में होली की धूम है। यहां पूरे फागुन होली का उल्लास रहता है। ब्रज मंडल का अधिकतर इलाका उत्तरप्रदेश में है, लेकिन राजस्थान के भरतपुर जिले के कुछ इलाके भी इसमें शामिल हैं। ऐसे में भरतपुर से भी फाग खेलने बड़ी तादाद में श्रद्धालु उत्तरप्रदेश के बरसाना, नंदगांव, मथुरा, वृंदावन और गोवर्धन जाते हैं।
मंगलवार शाम बरसाना के राधा रानी मंदिर में फागुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर परंपरागत लट्ठामार होली खेली गई। मुख्य मंदिर की सीढ़ियों के सामने यह आयोजन किया गया, जिसमें शामिल होने के लिए देशभर से श्रद्धालु बरसाना पहुंचे।
मंगलवार सुबह से ही श्रद्धालु बड़ी तादाद में भरतपुर, करौली, जयपुर, धौलपुर, दौसा, अलवर से बरसाना पहुंचे। बरसाना की लट्ठमार होली का आयोजन शाम 5 बजे से राधा रानी मंदिर की सीढ़ियों के सामने हुआ। दोपहर से ही छोटे से कस्बे बरसाना की गलियों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हो गई।
बरसाना में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग छतों से इस श्रद्धालुओं के रेले को देख रहे थे और ऊपर से गुलाल, पिचकारी के साथ श्रीराधे का स्वर भी बरसा रहे थे। परंपरा के अनुसार अपनी-अपनी ढाल लेकर बरसाना से 8 किलोमीटर दूर नंदगांव के ग्वाले (होरियार) युवा बरसाना पहुंचे।
यहां शाम 5 बजे के बाद प्राचीन राधा रानी मंदिर की सीढ़ियों के सामने जुटे होरियारों के ढाल पर सोलह श्रृंगार में सजी महिलाओं ने जमकर लाठियां बरसाईं। आस-पास खड़े लोग महिलाओं को और जोर से हाथ चलाने की बात कहते रहे। इस दौरान हंसी-ठिठोली का वातावरण रहा और चारों तरफ श्रीराधे की गूंज सुनाई दी। आयोजक मंडल ने मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर ये नजारा देखा। साथ ही बरसाना की गलियों में घरों की छतों से भी महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों ने इस दृश्य का आनंद लिया।
माना जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा के समय से ही यह परंपरा है। श्रीकृष्ण के गांव नंदगांव से होरियारे राधा रानी के गांव बरसाना पहुंचते थे और राधा व उनकी सहेलियों के साथ होली खेलते थे, वे उनके हुड़दंग से तंग आकर लाठियों से उनका स्वागत करतीं थीं।
बरसाना पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंगलवार को दिनभर राधा रानी मंदिर और मान मंदिर में दर्शन किया और फिर शाम को राधा रानी मंदिर के सामने जुटने लगे। शाम 5 बजते-बजते बरसाना कस्बे में करीब 5 लाख श्रद्धालु भर गए। आस-पास के गांवों से लोग टोलियां बनाकर राधा रानी के गीत गाते हुए बरसाना पहुंचे।
राधारानी मंदिर बरसाना के सेवक ओमजी ने बताया कि सुबह से ही मंदिर में नंदगांव और देशभर से आने वाले होरियारों और श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए मंदिर की छत पर अबीर-गुलाल और रंग के ड्रम तैयार कर लिए गए थे। नैचुरल रंगों की बाल्टियां भरकर मंदिर की छत से से श्रद्धालुओं पर डाली गईं। मंदिर में दर्शन करने वालों पर मंदिर के जगमोहन की बालकनियों से भी रंग बरसाया गया।
वृंदावन निवासी राधिका पाराशर ने बताया कि लट्ठमार होली देखने वृंदावन से बड़ी तादाद में लोग बरसाना जाते हैं, यूं कह सकते हैं कि पूरा वृंदावन खाली हो जाता है। सुबह से ही लोग नाचते-गाते पैदल या ई-रिक्शों में बरसाना की ओर निकलते हैं और लट्ठमार होली के आयोजन में शामिल होकर देर रात वृंदावन लौटते हैं।
नवमी के दिन नंदगांव से बरसाना पहुंचे होरियार वहां लट्ठ खाते हैं तो दूसरे दिन दशमी के दिन बरसाना के हुरियार नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके यहां पहुंच जाते हैं। आज बुधवार को नंदगांव में होली का उत्सव चल रहा है। यहां नंदभवन में होली की खूब धूम मच रही है।
ये है मान्यता
माना जाता है कि कृष्ण अपनी मित्र मंडली के साथ राधारानी और उनकी सखियों से होली खेलने बरसाना पहुंचते थे, उनके साथ ठिठोली करते थे, वे राधारानी और उनकी सहेलियों को तंग करते तो वे ग्वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। लाठी-डंडों की मार से बचने के लिए ग्वाले ढालों का प्रयोग करते थे। यही धीरे-धीरे ब्रज होली की परंपरा बन गई।
खास बात ये है कि यह मारना-पीटना हंसी-खुशी के वातावरण में होता है। बरसाना की औरतें अपने गांवों के पुरूषों पर लाठियां नहीं बरसातीं। आसपास खड़े लोग रंग बरसाते दिखते हैं। इससे पहले 27 फरवरी को बरसाना में लड्डुओं और फूलों की होली खेली गई। होली के त्योहार तक ब्रज मंडल में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। लट्ठमार होली को देखने आए लोगों को संभालने के लिए बरसाने में भारी संख्या में पुलिस तैनात की गई।
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