राजस्थान विधानसभा के सामने धरने पर बैठे सांसद किरोड़ी लाल मीणा पुलिस अधिकारी भरत लाल मीणा से उनकी बहस हो गई। इसके बाद पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। इस दौरान नाराज किरोड़ी लाल मीणा अमर जवान ज्योति पर अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए। इसके बाद किरोड़ी लाल मीणा को पुलिस की बस में बिठाया। जहां से मीणा शहीदों के परिजनों के साथ शहीद स्मारक पहुंचे। फिर अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो गया है। इस बीच गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव ने सांसद मीणा से फोन पर बातचीत कर मनाने की कोशिश की
दरअसल, सांसद किरोड़ी लाल मीणा दोपहर 1:30 बजे शहीदों के परिजनों के साथ विधानसभा के गेट नंबर 6 पर पहुंचे। अचानक मीणा को देख पुलिस प्रशासन हरकत में आ गई। विधानसभा के गेट से मीणा को हटाने के लिए मनाने लगे। इस दौरान जब मीणा नहीं माने तो पुलिस अधिकारी भरत लाल मीणा मौके पर पहुंचे। उन्हें जबरदस्ती हटाने की कोशिश की। इस दौरान मीणा और पुलिस के बीच जमकर बहस हो गई।
लगभग लगभग 2:15 बजे मीणा अपने समर्थकों के साथ पैदल ही अमर जवान ज्योति के लिए रवाना हो गए। जहां पुलिस और मीणा के समर्थकों में एक बार फिर बहस हो गई। इस दौरान मीणा के कुछ समर्थकों के कपड़े भी फट गए। इससे नाराज होकर मीणा ने पुलिस को जमकर खरी-खोटी सुनाई।
इसके बाद डीसीपी योगेश गोयल मौके पर पहुंचे। किरोड़ी लाल मीणा को पुलिस की बस में बिठाया। दोपहर 3:30 किरोड़ी लाल मीणा और शहीदों के परिजनों को शहीद स्मारक पर लाया गया है। जहां सांसद किरोड़ी लाल शहीदों के परिजनों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।
सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा- सरकार ने वीरांगनाओं के लिए जो पैकेज घोषित किया था। उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया है। अब तक ना तो शहीदों की प्रतिमा लग पाई है। ना ही उनके गांव तक सड़क बनी है। वहीं, शहीदों के परिजनों को सरकारी नौकरी और आर्थिक पैकेज का वादा भी पूरा नहीं हुआ है।
दरअसल, पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के उन 40 जवान शहीद हुए थे। इनमें राजस्थान ने भी पांच बहादुर बेटे खो दिए थे। इनमें शीद हेमराज मीणा कि पत्नी वीरांगना मधुबाला ने कहा- शहादत के चार साल बाद भी पति की प्रतिमा नहीं लगाई गई। वहीं, सरकार के मंत्रियों ने जो भी वादे किये थे। अब तक उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ है। इसलिए अब मजबूरन सरकार के खिलाफ धरने पर बैठना पड़ा है। अगर सरकार ने अब भी हम से किए गए वादों को पूरा नहीं किया। तो मैं भूख हड़ताल पर बैठूंगा।
बता दें कि 14 फरवरी 2019 को जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 78 बसों में सवार होकर सीआरपीएफ के 2500 जवानों का काफिला गुजर रहा था। पुलवामा में सामने से आ रही एक एसयूवी जवानों के काफिले की बसों से टकराई और फिर विस्फोट हुआ। जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। CRPF जवानों का यह काफिला जम्मू स्थित चेनानी रामा ट्रांसिट कैंप से श्रीनगर के लिए निकला था। 320 किलोमीटर की दूरी तय करके जवानों को श्रीनगर के बख्शाी स्टेडियम स्थित ट्रांसिट कैंप में पहुंचना था। पुलवामा हमले का बदले लेने के लिए भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर एयरस्ट्राइक की थी।
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