जयपुर: उपनेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा- राजस्थान की सरकार का एक बार फिर से एक तुगलकी फरमान आया है और तुष्टीकरण का चेहरा फिर से उजागर हुआ है। उदयपुर के कलेक्टर ने 5 अप्रैल से दो महीने के लिए 144 थोपी है और साथ ही कहा है कि किसी भी तरह धार्मिक प्रतीक चिन्ह, झण्डे सार्वजनिक या निजी स्थानों पर नहीं लगाए जा सकेंगे। ये तुष्टीकरण का वो नमूना है, जब कानून की विफलता के लिए इस तरह के रास्ते गढ़े जाते हैं।
हनुमान जयंती से पहले आदेश निकालना धार्मिक आस्था पर सीधा हमला
पूनिया बोले- मुझे लगता है कि लगातार एक के बाद एक राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी। जिसकी दोषी खुद कांग्रेस पार्टी की सरकार, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गृहमंत्री के रूप में उनकी विफलता रही। लगातार राजस्थान जिस तरह अपराधों की राजधानी बना, कानून व्यवस्था ध्वस्त हुई। लेकिन आस्था पर हमले करना शायद कांग्रेस पार्टी की सरकार के लिए मखौल हो गया है। हनुमान जयंती से एक दिन पहले इस तरह के आदेश निकालना, उदयपुर ही नहीं पूरे राजस्थान के तमाम लोगों की धार्मिक आस्था पर सीधा-सीधा हमला है। इसकी जिम्मेदार कांग्रेस पार्टी है। मुझे लगता है तुष्टीकरण कांग्रेस की फितरत बन चुकी है।
बागेश्वर धाम की धर्मसभा के बाद निषेधाज्ञा,विशेष तौर पर ये आदेश भगवा ध्वजों के लिए - गजेंद्र सिंह शेखावत
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी गहलोत सरकार को आड़े हाथों लिया है। शेखावत ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर लिखा है कि '' अब उदयपुर में धार्मिक ध्वज लगाने के लिए प्रशासन से आज्ञा लेनी होगी। क्रोनोलॉजी समझिए कि बागेश्वर धाम की धर्मसभा के बाद यह निषेधाज्ञा जारी हुई है! यानी विशेष तौर पर यह आदेश भगवा ध्वजों के लिए है। हिंदुओं को टारगेट करना कांग्रेस की परमानेंट पॉलिटिकल पॉलिसी है। ये भगवा ध्वजा के विरोधी हैं। ''
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