छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्गों का आरक्षण पूरी तरह खत्म हो चुका है। इसकी जानकारी खुद राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने सूचना के अधिकार-RTI के तहत दी है। इसमें बताया गया है कि 19 सितम्बर को आये हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में किसी आरक्षण नियम अथवा रोस्टर के सक्रिय होने का प्रश्न ही नहीं उठ रहा है। कोरबा के एक व्यक्ति ने सामान्य प्रशासन विभाग से पूछा था कि प्रदेश मेंं 30 सितम्बर तक कौन सा आरक्षण नियम अथवा रोस्टर सक्रिय है। उसके जवाब में सामान्य प्रशासन विभाग ने 4 नवम्बर को एक जवाब भेजा। सूचना का अधिकार-RTI कानून के तहत भेजे गए एक जवाब में सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव एसके सिंह ने तस्वीर साफ की है। उन्होंने लिखा है, "उच्च न्यायालय बिलासपुर ने 19 सितम्बर को आदेश जारी कर सामान्य प्रशासन विभाग की नवम्बर 2012 में जारी अधिसूचना को असंवैधानिक बताया है। उसमें अनुसूचित जनजाति के लिए 32%, अनुसूचित जाति को 12% और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए 14% आरक्षण का प्रावधान था। राज्य सरकार इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर कर रही है। अत: दिनांक 30 सितम्बर 2022 की स्थिति में आरक्षण नियम अथवा रोस्टर सक्रिय होने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।' इस जवाब से यह स्पष्ट हो गया है कि उच्चतम न्यायालय से उच्च न्यायालय का आदेश स्टे होने तक प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अथवा पिछड़ा वर्गों को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा। हालांकि सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने दैनिक भास्कर से कहा, इस विषय में राज्य के महाधिवक्ता से विधिक अभिमत लिया जा रहा है।
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