राजस्थान की राजनीति या यूं कहें सचिन पायलट के लिए अगले 96 घंटे बेहद अहम रहने वाले हैं. क्योंकि इन 96 घंटों में उनके सियासी भविष्य का फैसला हो सकता है. दरअसल राजस्थान के साथ-साथ इस साल के अंत में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव के बीच खींचतान थी, जिसका हल निकालते हुए कांग्रेस ने टीएस देव सिंह को विधानसभा चुनाव से पहले उपमुख्यमंत्री बना दिया है. वहीं चर्चा है कि राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी देने का खाका तैयार हो चुका है.
चुनावी साल में कांग्रेस किसी भी तरह से गुटबाजी खत्म कर एकजुटता का संदेश देना चाहती है, लिहाजा ऐसे में छत्तीसगढ़ में विवाद का निपटारा कर दिया गया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत में टी एस सिंह देव की अहम भूमिका थी, ऐसे में दोनों नेताओं के बीच लंबे वक्त से तकरार थी, लिहाजा ऐसे में अब चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने टी एस सिंह को उपमुख्यमंत्री बनाकर बड़े सियासी संदेश दे दिए हैं. वहीं अब बारी राजस्थान की है.
राजस्थान कांग्रेस अशोक गहलोत सरकार की योजनाओं के बदौलत चुनाव में उतरने की तैयारी में है, लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस को एकजुटता का संदेश देना भी बेहद जरूरी है, लिहाजा ऐसे में आगामी सप्ताह में दिल्ली में राजस्थान कांग्रेस को लेकर एक अहम बैठक होनी है. इस बैठक में राजस्थान कांग्रेस के बड़े नेताओं को कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने बुलाया है. चर्चाएं हैं कि सचिन पायलट को चुनाव प्रचार समिति का जिम्मा सौंपा जा सकता है, ताकि चुनाव को लेकर कांग्रेस पूरी तरह मैदान में उतर जाए. वहीं सचिन पायलट को फिर से पीसीसी की कमान भी दी जाने की चर्चाएं हैं. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस के दोनों ही खेमों में हलचलें तेज हैं. अब सबको इंतजार 3 जुलाई का है. जब दिल्ली में राजस्थान को लेकर कोई बड़ा फैसला हो सकता है.
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.