कितनी मुश्किल है UCC की राह, संसद में कैसे मिल सकती है मंजूरी? AAP साबित हो सकती है तुरुप का इक्का

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबसे भारत में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के लिए सार्वजनिक रूप से वकालत की है, तब से इस बात की जोरदार चर्चा है कि केंद्र की भाजपा सरकार इस प्रस्ताव को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर सकती है. यूसीसी वर्षों से भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का प्रमुख मुद्दा रहा है.हालांकि इसे अखिल भारतीय कानून बनने से पहले संसद का टेस्ट पास करना होगा.

लोकसभा से यूसीसी बिल को पारित कराना भाजपा के लिए आसान होगा, क्योंकि निचले सदन में उसके पास भारी बहुमत है. ऐसे में सभी की निगाहें राज्यसभा पर होंगी, जहां बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ बहुमत के आंकड़े से कुछ कदम ही पीछे है. यहां ध्यान देने वाली बात है कि आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी को एक बड़ी उम्मीद दी है, क्योंकि उसने यूसीसी को सैद्धांतिक समर्थन दिया है. लेकिन क्या राज्यसभा से यूसीसी बिल को पास कराने के लिए AAP का समर्थन काफी होगा?

राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, उच्च सदन की कुल 245 सदस्य संख्या में से फिलहाल 8 सीटें खाली हैं. इसका मतलब है कि वर्तमान में उच्च सदन में कुल 237 सदस्य हैं. इस कानून को पारित कराने के लिए भाजपा को कम से कम 119 राज्यसभा सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी. फिलहाल उच्च सदन में बीजेपी के 92 सदस्य हैं. पिछले सप्ताह उसे एक सीट का नुकसान हुआ, जब उत्तर प्रदेश से उसके राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे का निधन हो गया.

अन्य सहयोगियों को मिलाकर, राज्यसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की कुल ताकत 109 सदस्यों की है. इसका मतलब यह हुआ कि समान नागरिक संहिता विधेयक को उच्च सदन में सफलतापूर्वक पारित कराने के लिए उसे 10 और सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी. जब तटस्थ दलों की बात आती है, तो बीजद और वाईएसआर कांग्रेस दोनों के पास राज्यसभा में 9-9 सदस्य हैं. यदि वे दोनों यूसीसी पर भाजपा का समर्थन करने का निर्णय लेते हैं, तो उसे राज्यसभा में यूसीसी बिल को पास कराने के लिए आवश्यक बहुमत आसानी से मिल जाएगी.

हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी अपने अल्पसंख्यक वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए राज्यसभा में यूसीसी बिल का समर्थन नहीं करेगी, जिसका प्रभावी रूप से मतलब है कि बीजेपी को 1 वोट की कमी होगी, भले ही बीजेडी सदन में उसका समर्थन करे. यही कारण है कि आम आदमी पार्टी राज्यसभा में यूसीसी बिल पास कराने में तुरुप का इक्का साबित हो सकती है. राज्यसभा में 10 सीटों (दिल्ली से 3, पंजाब से 7) के साथ अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी का समर्थन भाजपा को संसद में यूसीसी को मंजूरी दिलाने में मदद कर सकता है.

संसद का मानसून सत्र संभवत: जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू होगा और अगस्त के मध्य तक चलेगा. सत्र के दौरान, विदेश मंत्री एस जयशंकर और तृणमूल के डेरेक ओ’ब्रायन सहित 10 राज्यसभा सीटों के लिए भी मतदान होगा, जो 24 जुलाई के लिए निर्धारित है. इससे 237 सदस्यीय सदन में समीकरणों में ज्यादा बदलाव की संभावना नहीं है. क्योंकि भाजपा और टीएमसी के पास संबंधित विधानसभाओं (पश्चिम बंगाल, गुजरात और गोवा) में अपनी सीटें बरकरार रखने के लिए पर्याप्त ताकत है.

हालांकि, एकमात्र बदलाव यह होगा कि भाजपा को पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की कीमत पर एक सीट हासिल होगी. यदि ऐसा होता है, तो संयुक्त एनडीए की ताकत फिर से 110 हो जाएगी. उस स्थिति में, बीजेडी या आम आदमी पार्टी का समर्थन केंद्र सरकार को संसद के माध्यम से यूसीसी पारित करने में मदद कर सकता है. इस तरह, यूसीसी की राह में एकमात्र रोड़ा बीजेपी के सहयोगी दल या तटस्थ बीजेडी ही बन सकते हैं, यदि इनमें से किसी ने बिल का समर्थन करने से परहेज किया, तो राज्यसभा से समान नागरिक संहिता संबंधित विधेयक पास कराना भाजपा के लिए मुश्किल हो जाएगा. हालांकि, इसकी संभावना बहुत कम है.

 

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