छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पहले जय-वीरू की जोड़ी के काफी चर्चे थे, लेकिन प्रदेश में अब काका-बाबा की जोड़ी के चर्चे होने लगे हैं. डिप्टी सीएम बनने के बाद सरगुजा पहुंचे टीएस सिंहदेव ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा 2023 के विधानसभा के चुनाव में इस बार कुछ अलग है. इस बार के चुनाव में काका-बाबा की जोड़ी चुनाव जिताएगी, लेकिन सब को मिलकर काम करना होगा.
दरअसल 2018 के चुनाव से चर्चा में जय-वीरू की जोड़ी सामने निकलकर आई थी. जय-वीरू की इस जोड़ी में जय स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव और वीरू मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कहा जाता था. जय-वीरू की जोड़ी उस समय सबसे ज्यादा सुर्खियों में आई, जब 15 सालों से प्रदेश की सत्ता में काबिज भाजपा का टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल के बेहतर तालमेल और प्लानिंग ने तख्तापलट कर दिया था. दोनों की प्लानिंग से भारी बहुमत से कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर ली थी. तब से प्रदेश में दोनों की जोड़ी को जय-वीरू की जोड़ी कहने लगे, लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही जय और वीरू के बीच की दूरियां बनने लगी थी. इसके पीछे का कारण ढाई-ढाई साल के फार्मूले को कहा जा सकता है.
यदि इस बारे में बात कि जाए कि दोनों का नाम काका और बाबा कैसे पड़ा तो बता दें टीएस सिहदेव को प्रदेश और सरगुजा में उनके समर्थक प्यार से बाबा कहते है, तो उधर मुख्यमंत्री समर्थकों ने उन्हें काका नाम दे दिया है. अब जब एक बार फिर ये दोनों नेता साथ आ चुके हैं तो जय-वीरू की इस जोड़ी को काका-बाबा की जोड़ी कहा जा रहा है और साथ ही उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार फिर यह जोड़ी विधानसभा चुनाव में धमाल मचाने में कामयाब हो पाएगी.
डिप्टी सीएम बनने के बाद पहली बार सरगुजा पहुंचे टीएस सिंहदेव ने पत्रकारों के सवाल पर स्वयं ही कहा इस चुनाव में काका-बाबा की जोड़ी काम करेगी. उन्होंने कहा कि 2018 के चुनाव में सिर्फ दो से काम चल गया था जय-वीरू, लेकिन इस बार दो से काम नही चलेगा. प्रदेश में 23 हजार पोलिंग बूथ है और इन बूथों पर सब को मिलकर काम करना पड़ेगा तब प्रदेश में 75 सीट पार के कांग्रेस के दावे पूरे हो पाएंगे.
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