कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के चलते लाखों नौकरी पेशा लोगों को एक झटके में बेरोजगार होना पड़ गया था. लेकिन इस विपरीत परिस्थिति में कुछ लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और इस विपदा को अवसर में बदलने के फिराक में लगे रहे. बेरोजगारों की फौज में जिसने हिम्मत नहीं हारी, वह फिर से अपने पांव पर न सिर्फ खड़े हुए बल्कि खुद को स्थापित कर एक मुकाम हासिल करने में सफलता पाई. ऐसी ही एक कहानी है बेगूसराय की रहने वाली किरण कुमारी की. जिन्होंने पति के 15 वर्षो तक सूरत में सीखे हुनर को अपने रोजगार का हथियार बनाया और सरकारी योजना का लाभ लेकर न सिर्फ खुद का उद्योग खड़ा किया बल्कि कमाई के साथ आस-पास के लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं.
बेगूसराय जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर खोदावंदपुर प्रखंड के रहने वाले तेतराही गांव के संदीप चौरसिया का लॉकडाउन के दौरान नौकरी चली गई. हालांकि कुछ दिनों तक मुश्किलों का दौर रहा, लेकिन मेहनत और हुनर के दम पर कष्ट के बादल को न सिर्फ दूर भगा दिया बल्कि जिंदगी में खुशहाली भी लौट आई. दरअसल, पत्नी किरण कुमारी ने पति के वस्त्र निर्माण के हुनर का उपयोग कर फैक्ट्री हीं लगा डाला. वहीं इस रोजगार को स्थापित करने में जीविका ने दो लाख का लोन भी उपलब्ध कराया. इस वस्त्र उद्योग को खड़ा करने में जीविका के बीपीएम मनीष कुमार एवं बीआरपी मोनी कुमारी लगातार मॉनिटरिंग करती रही. जिसके फलस्वरूप किरण एक सफल महिला उद्यमी बनकर उभर सकी.
किरण के पति संदीप चौरसिया ने बताया सूरत में कपड़ा उद्योग के कार्यो से लंबे अर्से तक जुड़ा रहा. सूरत में काम के एवज में हर माह 12 हजार वेतन मिलता था. लेकिन लॉकडाउन ने एक झटके में सड़क पर ला दिया और घर वापस लौटना पड़ा. पत्नी हिम्मत नहीं हारी और अपने कारोबार में आस-पास के महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराया.किरण के पास काम करने वाली महिला शकुंतला देवी ने बताया कि रोजाना चार घंटे काम कर 7 हज़ार तक की कमाई हर माह कर रहे हैं. रोजाना 20 महिलाएं मिलकर 400 ड्रेस तैयार कर लेती है. किरण अपने सहयोगी के साथ मिलकर बेगूसराय, समस्तीपुर और हाजीपुर के 10 से 15 स्कूलों में बच्चों के ड्रेस की डिमांड पूरी कर करी है. वहीं इस उद्योग से लगभग 50 हज़ार हर माह कमाई भी कर रही है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा अगर कुछ करने की चाह हो तो हर मुश्किल राह आसान हो जाता है.
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