इंदौर के एम वाई हॉस्पिटल में एक हार्ट पेशेंट की इलाज के दौरान मौत हो गई. रीवा से आई महिला अपने पति की लाश के साथ बैठकर बिलख रही थी. उसके पास पति की लाश को घर ले जाने तक के भी पैसे नहीं थे. पति के जाने के बाद हाल पूछने वाला अब कोई नहीं. महिला के पास केवल 500 रुपए ही थे और इतने बड़े शहर में कोई भी जान पहचान वाला नहीं था.
सुबह से परेशान इस महिला की मदद के लिए अस्पताल में कोई मौजूद नहीं था. महिला इसी आस में बैठे रही कि कोई मदद कर दे तो वह गाड़ी से अपने मृत पति को घर ले जाकर उनका अंतिम संस्कार करे. ऐसे में इंदौर के कुछ युवा उनके लिए मसीहा बनकर आए और उन्होंने मदद का हाथ आगे बढ़ाया.
राजाराम फाउंडेशन से जुड़े अजीत सिह ने बताया कि एम वाय हॉस्पिटल में एक माता जी थी जिनके पति का देहांत हो गया और उनका घर इंदौर से 850 किलोमीटर दूर रीवा के एक छोटे से गांव में है. उनके दो छोटे बच्चे भी हैं. वह अपने पति का शव अपने गांव ले जाने में असमर्थ थीं, किसी सज्जन व्यक्ति ने उन्हें संस्था के बारे में बताया तो संस्था के सदस्य तुरंत अस्पताल के लिए रवाना हुए और माताजी से मिले. उस समय वह बेसुध हालत में थीं और अपने मृत पति की देह के पास खड़ी थीं. होश संभालने पर माताजी ने बताया कि सुबह 10 बजे से ही उनके पति का देहांत चुका है, लेकिन वह इसी आस में बैठी हुई है कि कोई आकर उनकी मदद करें और उनके पति को पैतृक गांव ले जाने का साधन दें. वह इतनी मजबूर थीं कि इलाज के बाद केवल उनके पास 500 रुपये ही बचे थे.तभी संस्था के युवाओं ने उनकी मदद की.
बता दें कि इंदौर में युवा राजाराम फाउंडेशन एक संस्था है, जो बेघर और असहाय लोगों की मदद करता है. इस केस में इंदौर की ही संस्थासेवा भारती चिकित्सा प्रकल्प ने एंबुलेंस की व्यवस्था करने में मदद की और महिला को उनके पति सहित इंदौर से रीवा के गांव तक पहुंचाया.
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